ऊना/ सुशील पंडित : अटल बिहारी वाजपेई राजकीय महाविद्यालय बंगाणा में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागअध्यक्ष प्रोफेसर सिकंदर नेगी के अध्यक्षता में विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। मंच का संचालन राजनीति विज्ञान की उपप्रधान इंदू ने किया। विशेष सेमिनार का विषय सूचना का अधिकार 2006 और भारत में न्यायिक सक्रियता था। सेमिनार के मुख्य वक्ता बीए फर्स्ट ईयर की छात्रा तानिया शर्मा और बीए फर्स्ट ईयर की छात्रा अंकिता मनकोटिया थी। सबसे पहले फर्स्ट ईयर की छात्रा तानिया शर्मा ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 , जिसे ‘आरटीआई एक्ट’ के नाम से जाना जाता है। यह अधिनियम भारतीय लोकतंत्र को सशक्त करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।
समय के साथ संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का विस्तार होता चला गया। सूचना नहीं दिए जाने पर अपील की व्यवस्था की गई है तथा वहां सूचना नहीं देने के परिणामस्वरूप दोषियों को शास्ति (सज़ा) दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है।सूचना नहीं दिए जाने पर अपील की व्यवस्था की गई है तथा वहां सूचना नहीं देने के परिणामस्वरूप दोषियों को शास्ति (सज़ा) दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है। इसके बाद फाइनल बा फर्स्ट ईयर की छात्रा अंकित मनकोटिया ने भारत में न्यायिक सक्रियता पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि न्यायिक सक्रियता नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।
न्यायिक सक्रियता का अभ्यास सबसे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका में शुरूऔर विकसित हुआ। भारत में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को किसी भी कानून की संवैधानिकता की जाँच करने की शक्ति प्राप्त है और यदि ऐसा कानून संविधान के प्रावधानों के साथ असंगत पाया जाता है, तो अदालत कानून को असंवैधानिक घोषित कर सकती है। इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग के विभागअध्यक्ष प्रोफेसर सिकंदर नेगी, प्रोफ़ेसर निकिता गुप्ता, प्रोफ़ेसर संजय शर्मा, राजनीति विज्ञान के उपप्रधान इंदू, सह सचिव अंशु, कृति मीडिया प्रभारी रोहित डोगरा मौजूद रहे।