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सोमभद्रा सेतु…एक पुल जो विश्वास भरे विकास का प्रतीक बन गया

ऊना/ सुशील पंडित : यूं तो हर पुल विकास की एक नई कहानी कहता है, लेकिन उनमें भी कुछ सेतु ऐसे होते हैं जो साधारण निर्माण से बढ़कर हजारों लोगों के लिए जीवन में स्थायी बदलाव का हेतु बन जाते हैं। ऊना जिले के हरोली में स्थित सोमभद्रा सेतु विकास की ऐसी ही एक उम्दा दास्तान है। हरोली को ऊना के रामपुर से जोड़ते हुए सोमभद्रा नदी, स्थानीय नाम स्वां नदी, पर 33.58 करोड़ से बना यह 773.30 मीटर लंबा पुल करीब 20 हजार की आबादी के लिए विश्वास भरे विकास का प्रतीक बन गया है।

हरोली की प्रधान रमन कुमारी कहती हैं कि इस पुल ने न केवल बरसात के मौसम में होने वाली कठिनाइयों से मुक्ति दिलाई है बल्कि हरोली और ऊना के बीच आवागमन को सरल बनाने के साथ ही स्थानीय लोगों के जीवन में आशा और विकास का नया द्वार खोल दिया है। बकौल रमन ‘यह पुल साबित करता है कि एक अद्भुत निर्माण कैसे समाज में स्थायी बदलाव ला सकता है।’

मुकेश अग्निहोत्री के विजन का सुफल
हरोली की गोंदपुर जयचंद पंचायत के प्रधान अनूप अग्निहोत्री का कहना है कि यह पुल उपमुख्यमंत्री एवं हरोली के विधायक मुकेश अग्निहोत्री के विजन का सुफल है। यह पुल इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि कैसे कोई निर्माण एक असाधारण उपलब्धि बन सकता है। यह पुल केवल एक संरचना भर नहीं है बल्कि यह हजारों दिलों को जोड़ने और उनके कष्टों को दूर करने का माध्यम भी बना है।

हरोली के पंजावर के रहने वाले कांग्रेस के ऊना जिले के प्रधान रणजीत राणा बताते हैं कि यह पुल इस बात का गवाह है कि किसी लीडर की प्रगतिशील सोच कैसे एक साधारण पुल को विकास और विश्वास का आदर्श बना सकती है। मुकेश अग्निहोत्री की दूरदर्शिता और समर्पण ने जनता के जीवन में स्थायी बदलाव लाने का कार्य किया है और सोमभद्रा सेतु इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। साल 2007 में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह के हाथों इसका नींव पत्थर रखवाया था। श्री अग्निहोत्री नेे इसके लिए सारी धनराशि उपलब्ध करवा कर इसे पूरा कराने की सुनिश्चितता दी। पुल साल 2018 में जनता को समर्पित किया गया।

रास्ता भी…मुकाम भी
वहीं, रोड़ा गांव के संजीव कुमार बताते हैं कि सोमभद्रा सेतु के बनने से लोगों को हरोली से ऊना आने-जाने के लिए 11 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा से छुटकारा मिला है। ऊना से हरोली की दूरी पहले करीब 16 किलोमीटर थी, जिसके लिए घालूवाल होकर जाना पड़ता था, इस पुल के बनने से यह दूरी कम होकर महज 7 किलोमीटर रह गई है। धर्मपुर की प्रधान सुभद्रा चौहान कहती हैं कि चाहे किसानों को अपनी उपज मंडी तक पहुंचाने की सुविधा हो, नौकरीपेशा लोगों को अपने कार्यस्थल तक जाने की सहूलियत हो या छोटे व्यापारियों का सामान लाने-ले जाने की सुविधा हो, सोमभद्रा सेतु ने हर किसी के लिए एक नया रास्ता खोला है। सबकी आशाओं को एक मुकम्मल मुकाम दिया है।

विभागों के आपसी तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण

पुल बना पसंदीदा सेल्फी प्वाइंट
वहीं, दुलैहड़ गांव की सुनीता बग्गा, जो महिला एससी विंग की ब्लॉक प्रधान भी हैं, उनका कहना है कि यह पुल विकास परियोजनाओं में विभिन्न विभागों के आपसी तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। लोक निर्माण विभाग ने इसका निर्माण किया है। पुल इतना संुदर बना है कि यह लोगों के लिए पसंदीदा सेल्फी प्वाइंट बन गया है।

‘इंजीनीयरिंग मार्वल’
बता दें, पुल को आधुनिक तकनीक और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘इंजीनीयरिंग मार्वल’ की तरह तैयार किया गया है। 773.30 मीटर स्पैन के इस पुल के दोनों ओर पैदल चलने वालों के लिए सुन्दर पथ बनाए गए हैं, जिससे लोग सैर के लिए यहां आते हैं। आधुनिक डिजाइन की सोलर लाइटें इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। पुल के दोनों मुहानों पर जलशक्ति विभाग ने पेयजल की व्यवस्था की है, जो लोगों के लिए एक बड़ी सुविधा है। सुरक्षा के लिहाज से पुल पर पुलिस विभाग ने सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं और यातायात नियमों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए स्क्रीन भी लगाई गई हैं। पुल पर लगे रोड़ रिफ्लेक्टर्स रात में सफर को सुगम बनाते हैं। सोमभद्र सेतु अब विकास की एक नई परिभाषा गढ़ रहा है। यह पुल उन सभी के लिए प्रेरणा है जो विकास और प्रगति की दिशा में काम कर रहे हैं।

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