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हाथों-हाथ बिक रही सोमभद्रा इको फ्रैंडली राखियां, मेले में 4 दिन में 1 लाख से अधिक की सेल

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राखी उत्सव मेले में पर्यावरण मित्र एवं आकर्षक डिजाइन की राखियों की सेल 

ऊना/सुशील पंडित। एमसी पार्क ऊना में 11 अगस्त तक चलने वाले राखी उत्सव मेले में सोमभद्रा ब्रांड नेम से बिक रही इको फ्रैंडली राखियां ऊनावासियों की पसंदीदा बन गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राखी उत्सव मेले में स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल पर हस्त निर्मित तथा पर्यावरण मित्र राखियों को बिक्री के लिए रखा गया है, जिनकी भारी मांग बनी हुई है। जहां यह राखियां किफायती दामों पर मिल रही हैं, वहीं इनके डिजाइन सभी को पसंद आ रहे हैं। राखियों को बनाने में बांस, रुद्राक्ष, मोती तथा सूती धागे जैसी पर्यावरण मित्र सामग्री का इस्तेमाल किया गया है।

स्वयं सहायता समूहों से जड़ी ईसपुर निवासी जतिंद्र कुमारी, अंब विकास खंड के शिवपुर की रहने वाली ममता, दिलवां की पूनम कुमारी तथा गगरेट की रहने वाली चंचल कुमारी ने कहा कि रक्षा बंधन के त्यौहार को देखते हुए एमसी पार्क में मेले का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं अपने हाथों से राखियां बना रही हैं और लोगों में इसको लेकर काफी अच्छी मांग है। उन्होंने बताया कि उनके पास 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक राखी उपलब्ध है और इन पर नाम भी लिखवाया जा सकता है।
 
मेले को लेकर खरीददारों का रुझान अच्छा
उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि एक अगस्त को एमसी पार्क ऊना में राखी उत्सव मेले का शुभारंभ किया था, जिसका अच्छा रुझान मिल रहा है। सोमभद्रा ब्रांड नेम के तहत यहां पर राखियां, आचार, सेवियां आदि सामग्री बिक रही है। इसके साथ ही बांस का सामान भी लोगों की खरीददारी के लिए रखा गया है। उन्होंने बताया कि शुरुआती चार दिन में मेले के दौरान स्वयं सहायता समूहों ने लगभग 1.20 लाख रुपए की सेल की है। 

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समर्पित
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में आज 22 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं, जिनसे बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं। प्रदेश सरकार पहले दिन से ही इन महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयास कर रही है, जिसके लिए स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पाद बेचने के लिए उचित मंच प्रदान किया जा रहा है। ऊना में अनेकों स्थानों पर जहां स्थाई केंद्र खोले गए हैं, वहीं मेले लगाकर भी समूहों की आय में वृद्धि की कोशिश की जा रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

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