नई दिल्लीः खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों के लिए अक्टूबर का महीना खास है। महज दो सप्ताह के अंतराल में सूर्यग्रहण व चंदग्रहण दोनों लगेंगे। कल 14 अक्टूबर 2023 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है, इस समय ग्रहों की ऐसी स्थिति है कि चंद्रमा किसी अंगूठी के हिस्से के रूप में नजर आएगा यानी यह रिंग ऑफ फायर जैसा दिखेगा। लेकिन इसका गवाह सब नहीं बन सकेंगे।
भारत में नहीं दिखेंगा असर
‘रिंग ऑफ फायर’ सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। लेकिन भारतीय व अन्य देशों के लोग इस सूर्यग्रहण को नासा के यूट्यूब चैनल पर लाइव देख सकेंगे, जो कि 14 अक्टूबर 2023 को शाम 04 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा। भारत में यह सूर्यग्रहण नजर न आने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका सहित उत्तरी अमेरिका के हिस्सों में देखा जाएगा और प्रशांत महासागर में नजर आएगा।
क्या है रिंग ऑफ फायर
दरअसल, 14 अक्टूबर शनिवार के दिन लग रहा यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण है। इसे ही रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। खगोलविदों के अनुसार जब वलयाकार सूर्य ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी से अपनी सामान्य दूरी से अधिक दूर होता है, जिसके चलते यह सूर्य से छोटा नजर आता है और ग्रहण लगने पर ऐसा प्रतीत होता कि आसमान में रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) यानी आग की रिंग बनी हुई है। इसी के चलते इस सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण में इन बातों का रखें ध्यान
वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य कभी भी चंद्रमा द्वारा पूरी तरह से नही ढका जाता है, इसलिए इस ग्रहण को बिना किसी नजर सुरक्षा के इस्तेमाल के बिना देखना सुरक्षित नहीं है। लोगों को इसे देखते समय आंखों को नुकसान से बचाने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए। नासा के अनुसार, ग्रहण का चश्मा सामान्य चश्मे की तुलना में हजारों गुना ज्यादा गहरा होता है।
8 अप्रैल को होगा अगला सूर्य ग्रहण
सारिका ने बताया कि एन्यूलर या वलयाकार सूर्यग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढंक नहीं पाता है क्योंकि वह पृथ्वी से दूर होता है । इस स्थिति में चंद्रमा के चारों ओर प्रकाश का एक घेरा बन जाता है । वलयाकार ग्रहण के दौरान कोरोना नहीं दिखाई देता है । वहीं अगला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को पूर्ण सूर्यग्रहण और 2 अक्टूबर को वलयाकार सूर्यग्रहण होगा, लेकिन ये भी भारत में दिखाई नहीं देंगे ।