- Advertisement -
Punjab Government Advertisement
HomeHimachalUnaडेंगू के कारण बिगड़े हालात, 1 हजार से अधिक लोगों की मौत

डेंगू के कारण बिगड़े हालात, 1 हजार से अधिक लोगों की मौत

ढाकाः बांग्लादेश में मच्छर जनित बीमारी डेंगू का प्रकोप जारी है। इस साल डेंगू से अब तक 1 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जो कि एक नया रिकॉर्ड है। बांग्लादेश में डेंगू के बढ़ते प्रकोप की वजह जलवायु परिवर्तन को बताया जा रहा है। बांग्लादेश के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के आंकड़ों में कहा गया है कि इस साल बांग्लादेश में मच्छर जनित बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1017 हो गई है। इस वर्ष अब तक डीजीएचएस ने डेंगू के 208,884 मामले और 198,584 रिकवरी दर्ज की है।

डीजीएचएस आंकड़ों के अनुसार, इस साल डेंगू के प्रकोप के लिए सितंबर अब तक का सबसे घातक महीना रहा है, जिसमें 396 मौतें और 79,598 मामले हैं। डीजीएचएस आंकड़ों के अनुसार, इस साल डेंगू के प्रकोप के लिए सितंबर अब तक का सबसे घातक महीना रहा है, जिसमें 396 मौतें और 79,598 मामले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि डेंगू, चिकनगुनिया, पीला बुखार और जीका जैसे मच्छर जनित वायरस से होने वाली अन्य बीमारियां जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से फैल रही हैं। वैज्ञानिकों ने बांग्लादेश में डेंगू के मामलों में वृद्धि के लिए इस वर्ष वार्षिक मानसून के मौसम के दौरान अनियमित वर्षा और गर्म तापमान को जिम्मेदार ठहराया है।

ढाका के जहांगीरनगर विश्वविद्यालय में प्राणीशास्त्र के प्रोफेसर कबीरुल बशर ने कहा कि यह केवल बांग्लादेश में नहीं हो रहा है बल्कि कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में इस साल डेंगू के कारण त्राहिमाम की स्थिति है। उन्होंने कहा कि डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर “वायरस के प्रसार के लिए अनुकूलतम तापमान” पर पनपता है। उन्होंने कहा, “वैश्विक जलवायु परिवर्तन इस तापमान स्तर को प्रदान करने में भूमिका निभा रहा है।”

बांग्लादेश में 1960 के दशक से डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन डेंगू रक्तस्रावी बुखार का पहला प्रकोप 2000 में दर्ज किया गया था। डेंगू वायरस अब बांग्लादेश के लिए स्थानिक बीमारी बन गया है। सदी की शुरुआत के बाद से देश ने धीरे-धीरे गंभीर होते प्रकोप देखे हैं। डेंगू के मामले आमतौर पर मानसून के मौसम जुलाई और सितंबर के बीच बढ़ते हैं। एएफपी के हवाले से ढाका के शहीद सुहरावर्दी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मोहम्मद रफीकुल इस्लाम ने कहा, “जब लोगों को दूसरी, तीसरी या चौथी बार डेंगू होता है, तो गंभीरता बढ़ जाती है। मौतों की संख्या भी अधिक होती है।” उन्होंने कहा, “कई लोग हमारे पास तब आ रहे हैं जब उनकी बीमारी के काफी देर हो चुकी है।” “फिर उनका इलाज करना वाकई जटिल है।

Disclaimer

All news on Encounter India are computer generated and provided by third party sources, so read and verify carefully. Encounter India will not be responsible for any issues.

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest News

- Advertisement -
- Advertisement -

You cannot copy content of this page