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जनाब ! ईइसआई के बिल के भुगतान के लिए जाए तो कहां जाए

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ईएसआई अस्पताल काठा की लापरवाही का शिकार बन रहे कामगार

बददी/ सचिन बैंसल : बद्दी की एक कंपनी में काम करने वाले कामगार को पहले पत्नी के उपचार के लिए भटकना पड़ा अब जब उपचार हो गया है तो उसे चिकित्सा बिल की प्रतिपूर्ति के लिए भटकना पड़ रहा है। बद्दी की स्प्रे इंजीनियरिंग में कार्यरत रामजी की पत्नी संगीता के पांव में ट्यूमर हो गया। उसे ईएसआई अस्पताल काठा से पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया। वह चलने फिरने में अमसर्थ थी लेकिन उसे एबुलेंस की सुविधा नहीं दी गई जबकि कामगार को ऐसी हालत में सुविधा मिलती है। रामजी एक मजदूर है।

होना तो यह चाहिए था कि मजदूर को रैफर करने से पहले उसका मार्ग दर्शन करना चाहिए था। गंभीर बीमारी होने पर उसे ईएसआई से टाईअप अस्पताल में कैशलेस चिकित्सा सुविधा के लिए उसे रैफर करना चाहिए था। उसे पीजीआई तो रैफर कर दिया गया लेकिन उसे यह नहीं बताया गया कि वहां से इस बीमारी का एस्टीमेेंट काठा अस्पताल को दे जिससे मजदूर अपनी पत्नी का उपचार करा सके। इस प्रकार काठा अस्पताल की लापरवाही के चलते मजदूर ने उधार और ऋण लेकर साढे तीन लाख रुपये उपचार पर खर्च कर दिए। अब इस मजूदर को चिकित्सा बिलों की क्षतिपूर्ति के लिए कभी कंपनी तो कभी डिस्पेंसरी भेजा जा रहा है। जबकि इसका बिल काठा अस्पताल से भुगतान होना है।  लेकिन अभी भी जानकारी के अभाव में दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है। 

उधर, इस संबंध में इएसआई अस्पताल काठा के एमएस एसडी शर्मा ने फोन नहीं उठाया वहीं दूसरी ओर निगम के क्षेत्रीय प्रंबधक संजीव कुमार ने मामले की गभीरता को देखते हुए कहा कि पीडि़त कामगार निगम के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सल्लेवाल से मिले। जिससे उसकी समस्या को निराकरण किया जाएगा।

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