धर्म: पूरे भारत में आज राधा अष्टमी मनाई जा रही है। इस दिन वृषभानु की लाडली राधा रानी का जन्म हुआ था। राधा अष्टमी कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि बिना राधा जी की पूजा के श्रीकृष्ण कोई भी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते हैं। वैसे तो राधा रानी के कई नाम है परंतु 28 नाम दिव्य हैं और बेहद खास है। मान्यताओं के अनुसार, यदि भक्त पूरी भक्ति, निष्ठा और समर्पण के साथ राधा का नाम लेते हैं तो उन पर भगवान श्रीकृष्ण की भी कृपा बरसती है।
ये है राधा रानी के 28 दिव्य नाम
राधा, रासेश्वरी, रम्या, कृष्ण मत्राधिदेवता, सर्वाद्या, सर्ववन्दया, वृंदावन विहारिणी, वृंदा राधा, रमा, अशेष गोपी मण्डल पूजिता, सत्या, सत्यपरा, सत्यभामा, श्रीकृष्ण वल्लभा, वृष भानु सुता, गोपी, मूल प्रकृति, ईश्वरी, गान्धर्वा, राधिका, रम्या, रुक्मिणी, परात्परतरा, पूर्णा, पूर्णचन्द्रविमानना, भुक्ति-मुक्तिप्रदा, भवव्याधि-विनाशिनी।
इसलिए श्रीकृष्ण से पहले लिया जाता है राधा का नाम
राधा जी श्रीकृष्ण की आत्मा और श्रीकृष्ण की शक्ति मानी जाती है। श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए भक्तों को राधा जाप करने के लिए भी कहा जाता है पर बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि आखिर क्यों कान्हा से पहले राधा जी का नाम लिया जाता है। व्यास मुनि के पुत्र शुकदेव जी तोता बनकर राधा के महल में रहते थे। शुकदेव जी हमेशा राधा-राधा रटा करते थे एक दिन राधा ने शुकदेव जी से कहा कि अब से तुम सिर्फ कृष्ण-कृष्ण नाम जपा करो। शुकदेव जी ऐसा ही करने लगे। उनको देखकर दूसरे तोते भी कृष्ण-कृष्ण कहने लगे। ऐसा ही पूरा नगर कृष्णमय हो गया कोई राधा नाम ही नहीं लेता था। एक दिन श्रीकृष्ण उदास भाव से राधा जी से मिलने जा रहे थे तो इस दौरान नारद जी ने उनसे उनकी उदासी का कारण पूछा। वो कहने लगे अब जगत में कोई राधा नहीं कहता जबकि मुझे राधा नाम सुनकर प्रसन्नता मिलती है। कृष्ण की ऐसी बातें सुनकर राधा रानी रोने लगी। राधा ने महल में लौटकर शुकदेव जी से कहा कि अब से आप राधा-राधा ही जपा करें। तभी से कान्हा से पहले राधा (राधा-कृष्ण) का नाम लिया जाता है।