नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने पर इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। इसी बीच ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने बड़ा बयान दे दिया है। उनका कहना है कि अगर डोनाल्ड ट्रंप चीन को ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग छोड़ने के लिए मना पाते हैं तो उन्हें नोबेल प्राइज जरुर मिलना चाहिए। ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा है कि औपचारिक संबंधो की अनुपस्थिति के बावजूबद भी अमेरिका चीन पर ताइवान के दावे के खिलाफ है। अमेरिका ताइवान का सबसे जरुरी अंतरराष्ट्रीय समर्थक भी है परंतु जब से ट्रंप ने पदभार संभाला है उन्होंने किसी भी नए हथियार को के सौदे को लेकर उनके साथ घोषणा नहीं की है।
शी जिनपिंग से होगी ट्रंप की मुलाकात
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में एशिया प्रशांत क्षेत्र के राजाओं की बैठक में शी जिनपिंग के साथ मुलाकात कर सकते हैं। लाई का कहना है कि इस हफ्ते द क्ले ट्रैविस एंड बक सेक्सटन शो में ट्रंप के द्वारा अगस्त में की गई टिप्पणियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि शी जिनपिंग ने उनसे कहा है कि जब तक वह अमेरिका के राष्ट्रपति हैं चीन ताइवान पर आक्रमण नहीं करेगा।
इस दिन मिलेगा पुरस्कार
लाई का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप का समर्थन उन्हें मिलता रहेगा। यदि राष्ट्रपति ट्रंप शी जिनपिंग को ताइवान के खिलाफ किसी भी सैन्य आक्रमण को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए राजी कर लेते हैं तो राष्ट्रपति ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता बन जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप खुद कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि उनको अब नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए क्योंकि उन्होंने कई देशों की न सिर्फ जंगें रुकवाई हैं बल्कि उनके बीच में शांति समझौता भी करवाया है। इस साल के पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को नॉर्वे में की जाएगी।
अमेरिका की नीति नहीं है साफ
राष्ट्रपति लाई चिंग ते का कहना है कि चीन की बढ़ती हुई सैन्य गतिविधियां सिर्फ ताइवान के लिए ही चुनौती नहीं हैं। ये ताइवान पर कब्जा करने से कही आगे तक फैल चुकी है। एक बार ताइवान पर कब्जा हुआ तो इसके बाद चीन अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका से मुकाबला करने के लिए और भी मजबूत बन जाएगा। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और भी कमजोर हो जाएगी।
अमेरिका ताइवान को अपनी रक्षा करने के लिए हथियार और जरुरी सामग्री देने के लिए कानूनी रुप से भी बाध्य हो गया है। इसके बाद भी अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि यदि चीन ताइवान पर हमला करेगा तो अमेरिका सैन्य जवाब देगा या नहीं। चीन ताइवान के राष्ट्रपति को अलगाववादी मानता है और बार-बार उनके द्वारा की गई बातचीत को ठुकरा चुका है।