शिमलाः केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और राज्य दवा नियामकों की जांच में हिमाचल प्रदेश में बनी 45 दवाओं समेत देश में बनीं 186 दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं। जिन दवाओं के सैंपल फेल उनमें एसिडिटी, बुखार, पेट के अल्सर, हृदय रोग, सूजन, आर्थराइटिस व हाई बीपी के उपचार की दवाएं शामिल है। जून में आए ड्रग अलर्ट में सोलन जिले की 33, सिरमौर की 9 और ऊना जिले की 3 दवा कंपनियों के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें पेट के कीड़े मारने वाली दवा, सीने में जलन मिटाने वाला इंजेक्शन, बुखार में संक्रमण खत्म करने वाली दवा, गैस्ट्रिक के दौरान लगने वाला इंजेक्शन व बैक्टीरिया खत्म करने वाली दवाएं शामिल हैं।
बद्दी की कंपनी के एक साथ दो सैंपल फेल हुए हैं। इनमें उच्च रक्तचाप पर लगने वाला टीका टेल्मीसार्टन शामिल हैं। कालाअंब की डच फॉर्मूलेशन कंपनी की तीन दवाओं के फेल सैंपलों में संक्रमण की ऑफ्लोक्सिन, छाती के संक्रमण की एजिथ्रोमाइसिन शामिल हैं। नालागढ़ की पैराडॉक्स फार्मास्यूटिकल के 4 सैंपल फेल हुए हैं। एजिथ्रोमाइसिन के दो, अमॉक्सिलिन का एक, गैस्ट्रिक का एक सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरा। बद्दी की मेडिपोल फार्मास्यूटिकल की दर्द निवारक दवा ब्रूफिन व आयरन का सिरप शामिल है। राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने कहा कि कंपनियों को नोटिस जारी कर स्टॉक वापस मंगवाएंगे।
ओफ्लॉक्सासिन टैबलेट्स तथा अमॉक्सिसिलिन और पोटेशियम क्लैवुलेनेट जैसी एंटीबायोटिक दवाओं की कई खेपें शामिल हैं। इनके अलावा विटामिन सप्लीमेंट्स, एसिक्लोफेनैक पैरेसिटामोल टैबलेट्स, फोलिक एसिड सिरप, सेफिक्सिम पाउडर, रूमीहील.डी, इट्राकोनाजोल, ऑफ्लॉक्सासिन, ओर्निडाजोल, क्लोबेटासोल प्रोपियोनेट क्रीम जैसी दवाएं भी गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं।
ड्रग अलर्ट के अनुसार जांच में कई इंजेक्शन सैंपल्स और खांसी की सिरप भी गुणवत्ता में फेल हुई हैं। इनमें एस्से कंटेंट की कमी, गलत लेबलिंग, अनुचित पीएच स्तर और डिसइंटिग्रेशन टेस्ट में विफलता जैसे गंभीर निर्माण दोष पाए गए हैं।
राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने बताया कि ड्रग अलर्ट में जिन उद्योगों की दवाओं के सैंपल फेल हुए है, उन सभी को नोटिस जारी कर सबंधित दवा उत्पाद बाजार से हटाने के निर्देश दे दिए गए है । इसके साथ ही जिन इकाइयों के नाम बार-बार इन मासिक सूचियों में आ रहे हैं, उनकी जोखिम आधारित निरीक्षण कर खामियों को चिन्हित किया जाएगा।