Advertisements
Ad 6
Advertisements
Ad 8
Advertisements
Ad 7

शिव महिमा से मिलता है मोक्ष : आचार्य विदुशी 

शिव महिमा से मिलता है मोक्ष : आचार्य विदुशी  शिव महिमा से मिलता है मोक्ष : आचार्य विदुशी 

हीरानगर में भागवत का तीसरा दिन

ऊना/सुशील पंडित : हरोली क्षेत्र के  दुलेहड़ के गांब हीरा नगर में चल रही कथा में तीसरे दिन भागवत आचार्य  विदुशी बेला पारिख ने शिव बिबाह का प्रसग सुनाते हुए कहा कि माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए हजारो बर्ष तपस्या की थी। तव जाकर माता पार्वती ने भोलेनाथ को पाया था। उन्होंने कहा कि इस नश्वर संसार मे ब्रह्मा द्वारा उतपति विष्णु भगवान द्वारा पालन पोषण और भोलेनाथ द्वारा इंसान को मरने के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। वैसे तो भगवान भोलेनाथ की महिमा ओर खासकर शिव विबाह की गाथा गाना बहुत मुशिकल है।

लेकिन शिवरात्रि सप्ताह चल रहा है। इसलिए शिव भोलेनाथ की गाथा ओर खासकर विवाह का प्रसंग सुनाना चाहिए। कि किस प्रकार भेलेनाथ की बारात निकाली थी। और पूरे भ्रमण्ड के भूत प्रेत भोलेनाथ के बाराती बने। और 33 करोड़ देवी देवताओं ने भगवान भोलेनाथ ओर माता पार्वती के पवित्र बंधन बिबाह में अपनी सहभागिता दी थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मे भंगवान भोलेनाथ की सवारी नन्दी की राज माता यानी गौमाता का त्रिस्कार हो रहा है। और किस प्रकार इंसान गौमाता को सड़कों पर बेसहारा छोड़ रहा है।

इस इंसानियत से वाहर है। उन्होंने कहा कि हमारी हिन्दू संस्कृति के अनुसार गौ माता में 33 करोड़ देवी देवता वास करते है। और हमारे सनातन के अनुसार गौ हमारी माता है। जिस ठाकुर जी को आज हर घर मे पूजा जाता है। और माताएं बहने हर कथा में अपने ठाकुर जी को साथ लाती है। यह गौमाता ठाकुर जी की सबसे प्रिय है। लेकिन हम लोग अपने सनातन से पिछड़ रहे है। और पाप की तरफ भाग रहे है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सनातन धर्म की रक्षा के लिए ओर गौ माता के पालन के लिए आगे आना होगा। और सभी प्रकार के ग्रांथ ओर धार्मिक कथाएं भी यही शिक्षा देती है। कथा 19 फरबरी तक चलेगी।

Disclaimer: All news on Encounter India are computer generated and provided by third party sources, so read carefully and Encounter India will not be responsible for any issue.


Encounter India 24 Years Celebration
Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page