नई दिल्ली: अमेरिका ने रुस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियां रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में इस पर अब रुस ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है। रुसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा है कि ये कदम उल्टा असर डालेंगे और वैश्विक अर्थव्यवस्था को रुस से ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे।
रुस बातचीत के लिए तैयार है
जाखारोवा ने कहा कि अमेरिका के ये दंडात्मक कदमों से रुस अपने राष्ट्रीय हितों पर समझौता करने को मजबूर नहीं होगा। उन्होंने बताया कि रुस बातचीत के लिए तो तैयार है लेकिन यह बातचीत मीडिया बयानबाजी के बजाय कूटनीतिक माध्यमों के जरिए होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम पूरी तरह से विपरित प्रभाव डालेगा। इससे यूक्रेन संघर्ष समाधान की दिशा में किसी भी तरह की बातचीत की संभावना भी और मुश्किल हो जाएगी। जाखारोवा ने यह कहा है कि रुस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रति एक मजबूत प्रतिरोध क्षमता बना ली है। देश अपनी आर्थिक और ऊर्जा क्षमता को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाता रहेगा।
चीन को भी दी अमेरिका ने वॉर्निंग
चीन ने भी गुरुवार को अमेरिका के इन नए प्रतिबंधों पर कड़ी आपत्ति जताई है। बीजिंग ने कहा कि ये एकतरफा कदम है। इसका कोई अंतरराष्ट्रीय कानूनी आधार नहीं है। चीन ने अमेरिका से कहा है कि दबाव या जबरदस्ती की नीति की जगह संवाद का रास्ता अपनाया जाए। चीन ने यूरोपीय संघ के हालिया प्रतिबंधों की भी आलोचना की है। इसमें कुछ चीनी कंपनियों पर रुस की मदद करने के आरोपों को आधार पर कार्रवाई भी की गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि चीन न तो यूक्रेन संकट का निर्माता है न ही उसका पक्षधर हम उन सभी कदमों का विरोध करते हैं जो चीनी कंपनियों के वैध हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।
ऐसे में इस पर विश्लेषकों का यह मानना है कि रुस और चीन की यह संयुक्त प्रतिक्रिया अमेरिका के बढ़ते हुए प्रतिबंधों के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार करेगी। दोनों देश पहले ही डॉलर पर निर्भरता कम करने और वैकल्पिक व्यापार प्रणाली को विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यदि रुस और चीन साथ में मिलाकर ऊर्जा और व्यापार सहयोग मजबूत करेंगे तो इससे पश्चिमी देशों की आर्थिक नीतियों पर असर होगा। वैश्विक शक्ति संतुलन में भी बदलाव देखने को मिलेगा।