बिजनेसः डॉलर के मुकाबले रुपया वीरवार को अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। रिपोर्ट के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे गिरकर 90.43 के स्तर पर आ गया है। 3 दिसंबर को ये 90.15 के स्तर पर बंद हुआ था। लगातार विदेशी फंड्स की निकासी ने रुपए पर दबाव बनाया है। रुपया 2025 में अब तक 5.5% कमजोर हो चुका है। जनवरी को रुपया डॉलर के मुकाबले 85.70 के स्तर पर था, जो अब 90.43 रुपए के लेवल पर पहुंच गया है।
रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इम्पोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया हैं, जो भारत की GDP ग्रोथ को 60-80 बेसिस पॉइंट्स गिरा सकता है और फिस्कल डेफिसिट बढ़ा सकता है। इससे निर्यात घट सकता है।
विदेशी मुद्रा की आमद कम होती है। इस वजह से रुपया दबाव में है। जुलाई 2025 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) ने भारतीय एसेट्स में ₹1.03 लाख करोड़ से ज्यादा की बिक्री की है। इसकी वजहें US ट्रेड टैरिफ्स की चिंता है। इससे डॉलर की मांग बढ़ गई है (बिक्री डॉलर में कन्वर्ट होती है), जो रुपए को नीचे धकेल रहा है।