बद्दी,सचिन बैंसल: बददी शहर की हालिया नगर निगम वार्डबंदी को लेकर स्थानीय लोगों में गहरा रोष है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से एकजुट रहे प्राचीन बददी शहर को प्रशासन द्वारा दो हिस्सों में बांटने पर विवाद खड़ा हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रणेश राणा ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है और इसे सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने वाला कदम बताया है। डॉ. राणा ने कहा, “बददी एक प्राचीन शहर है। यहां का शिव मंदिर, शमशान घाट और चक जंगी का कुआं—सभी सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से एक सूत्र में जुड़े हुए हैं। फिर इसे दो हिस्सों में कैसे बांटा जा सकता है?” उन्होंने कहा कि सदियों पुरानी परंपराएं, मेलों-दंगलों और रामलीला की एकजुटता को नजरअंदाज कर, राजनीतिक नजरिए से बनाई गई इस वार्डबंदी को कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने आरोप लगाया कि एसडीएम बददी कार्यालय से भेजे गए प्रस्ताव को अधिकारियों ने स्थानीय भावना को अनदेखा करते हुए केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से तैयार किया। नतीजतन, नगर निगम की अधिसूचना में पुराने बददी शहर का हिस्सा ग्राम पंचायत हरिपुर संडोली मौजा में डाल दिया गया, जिससे बददी की पहचान ही धूमिल हो गई। डॉ. राणा ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें समूचे शहर की वार्डबंदी पर आपत्ति है, परंतु सबसे अधिक आपत्ति बददी के ऐतिहासिक शहर को बांटने पर है। उनका मानना है कि या तो पूर्व की तरह दो वार्ड बनाए जाएं या यदि एक ही वार्ड बनाना है तो पूरे बददी शहर को एक वार्ड में शामिल किया जाए।
सोमवार को डीसी सोलन को दिया ज्ञापन :
डॉ. राणा ने बताया कि वह इस गलत वार्डबंदी के खिलाफ सोमवार को जिला निर्वाचन अधिकारी और डीसी सोलन को एक ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध दर्ज करवाया है। उन्होंने आग्रह किया कि बददी की प्राचीन सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक एकता को बनाए रखने के लिए इसे एक ही वार्ड के तहत रखा जाए।