नई दिल्ली: वृंदावन के संतों के विवादित बयान थमने का नाम ही नहीं ले रहे। कुछ दिन पहले कथावाचक अनिरुद्धाचार्य द्वारा लड़कियों के ऊपर दिए गए बयान के बाद अब प्रेमानंद महाराज का बयान काफी वायरल हो रहा है। मथुरा का वृंदावन में रहने वाले ब्रज के प्रमुख संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब तेजी से वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने आजकल के बच्चों के चरित्र को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
कुछ समय पहले एक महिला ने प्रेमानंद महाराज जी से सवाल किया था कि आजकल के समय में बच्चे अपनी पसंद से शादी करें या माता-पिता की पसंद से शादी करें दोनों ही स्थिति में परिणाम अच्छे नहीं आते। इस बात का जवाब देते हुए प्रेमानंद जी महाराज जी ने कहा कि – आजकल बच्चों और बच्चियों के चरित्र पवित्र नहीं हैं तो परिणाम कैसे आएंगे। हमारी पहले की माता बहनों का रहना सहना देखो हमारे गांव की बुजुर्ग महिलाएं सर तक पल्लू रखकर रहती थी और आजकल के बच्चे बच्चियों के पोशाक देखो।
“सौ में सिर्फ चार लड़कियां पवित्र होती है”
ये मनुवादी बाबा बताएं कि,”आज के समय में कितने पुरुष पवित्र हैं?”
पुरातन समय में पुरुष अनगिनत शादियां करते थे जैसे –
दशरथ- 3 पत्नी
कृष्ण- 16,108 पत्नी
ब्रह्मा की दो पत्नियां सरस्वती और गायत्री,
शिव की दो पत्नियां पार्वती और गंगा हैं,… pic.twitter.com/HFPKjoeiC6— Dr. Sheetal yadav (@Sheetal2242) July 29, 2025
आजकल के बच्चों का आचरण देखो एक लड़के से ब्रेकअप फिर दूसरे से ब्रेकअप के बाद तीसरे से व्यवहार और व्यवहार भव्यचार में परिवर्तित हो रहा है तो कैसे पवित्र रहेंगे। जब हमें चार होटल में खाने की आदत पड़ गई है तो घर की रसोई का खाना अच्छा नहीं लगेगा। यानी की अब चार पुरुष से मिलने की आदत बन गई है तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत उसमें नहीं रह जाएगी तो ऐसे ही जो चार लड़कियों से भव्यचार करता है तो वह अपनी पत्नी से संतुष्ट कैसे रहेगा क्योंकि उसने 4 से मिलने की आदत बना ली है।
आगे प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आज के समय में 100 में से सिर्फ दो चार लड़कियां ही पवित्र जीवन रखती हैं। ऐसी लड़की सच्ची बहू कैसे बनेगी जो चार लड़कों से मिल चुकी है और जो लड़का चार लड़कियों से मिल चुका हो तो क्या वह सच्चा पति बन पाएगा। फिर प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हमारा भारत देश है विदेश नहीं कि आज इसके साथ कल इसके साथ। यदि ऐसे में किसी तरह से पवित्र जीवनसाथी मिल जाए तो भगवान का वरदान समझो।