नेशनल डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं। रविवार को उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान देश, धर्म, राजनीति और समाज से जुड़े कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। संघ प्रमुख ने कहा कि सरकारें समय के साथ बदलती रहती हैं, लेकिन धर्म हमेशा बना रहता है। उन्होंने कहा कि बंगाल में बाबरी मस्जिद का मुद्दा दोबारा उठाना एक राजनीतिक साजिश जैसा है। इससे नया विवाद खड़ा करने की कोशिश हो रही है। भागवत के अनुसार यह मुद्दा न तो मुसलमानों के हित में है और न ही हिंदुओं के फायदे के लिए। उन्होंने साफ कहा कि बाबरी मस्जिद का मामला केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए उठाया जा रहा है।
मंदिर-मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में खत्म हो चुका है
मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर-मस्जिद से जुड़ा विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खत्म हो चुका है। इसके बावजूद बार-बार बाबरी मस्जिद का नाम लेना हिंदू और मुसलमान—दोनों के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि मंदिर और मस्जिद जनता के पैसे से बने हैं। सरकार इनकी सुरक्षा जरूर कर सकती है, लेकिन इनके रखरखाव या निर्माण के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल करना कानून के खिलाफ है।
दुनिया के किसी स्वयंसेवी संगठन का इतना विरोध नहीं हुआ जितना संघ का हुआ। हमले हुए और हत्याएं भी हुई लेकिन स्वयंसेवक आगे बढ़े। एक भी स्वयंसेवक के मन में इसको लेकर कटुता का भाव नहीं है। – डॉ. मोहन भागवत #RSS100Years#শতায়ু_সঙ্ঘ pic.twitter.com/35brEKlJ1c
— RSS (@RSSorg) December 21, 2025
कहा-बंगाल में बढ़ रहा मुस्लिम कट्टरपंथ
संघ प्रमुख ने आरोप लगाया कि बंगाल में मुस्लिम कट्टरपंथ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सीमा कुछ लोगों के लिए खोली गई, जिससे और लोग अंदर आ गए। भागवत ने कहा कि इस स्थिति पर सरकार को जवाब देना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं के लिए भारत ही एकमात्र देश है, इसलिए भारत सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हिंदू समाज एकजुट रहता है, तो बंगाल के हालात बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
संघ मुस्लिम विरोधी नहीं, राष्ट्रवादी है
मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि RSS मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि राष्ट्रवादी संगठन है। संघ का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। राजनीति में बदलाव लाना उनका काम नहीं है। उन्होंने दोहराया कि सरकारें बदलती रहती हैं, लेकिन धर्म हमेशा बना रहता है।
हिंदू राष्ट्र पर संघ की सोच
हिंदू राष्ट्र के सवाल पर भागवत ने कहा कि हिंदुत्व का मतलब कट्टरता नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म आधारित संविधान ही हमारे संविधान की मूल भावना है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान बनाया, वह हिंदू राष्ट्र की भावना से अलग नहीं था।
भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है—यह संघ की सोच है। अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो इसे संविधान और प्रस्तावना में भी जोड़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्व किसी एक परंपरा या तरीके से तय नहीं होता, बल्कि इसके पालन के कई रास्ते हैं। उनका उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना है।
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति चिंताजनक
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर संघ प्रमुख ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वहां हालात काफी मुश्किल हैं और बांग्लादेश के हिंदुओं की मदद जरूरी है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के हिंदुओं को आगे आकर उनकी मदद करनी चाहिए। भारत को अपनी सीमाओं में रहते हुए जितनी मदद संभव हो, उतनी करनी चाहिए। भागवत ने कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं को भी एकजुट रहना होगा और संघ अपनी तरफ से जो संभव है, वह कर रहा है।
मदरसों में आधुनिक शिक्षा जरूरी: भागवत
मदरसों को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि वहां आधुनिक शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने असम सरकार के मदरसों से जुड़े फैसले को सही बताया। भागवत ने कहा कि कुछ मदरसे भारत समर्थक हो रहे हैं और वहां देश से जुड़ी पढ़ाई भी करवाई जा रही है, लेकिन सभी मदरसे ऐसा नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि मदरसों में आधुनिक और राष्ट्रवादी शिक्षा देना जरूरी है, ताकि समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ने का मौका मिल सके।