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सेना के निर्माण कार्यों के ठेकों में धांधली मामलाः लेफ्टिनेंट कर्नल और ठेकेदारों से लाखों रुपए बरामद, देखें वीडियो

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अंबालाः सेना के निर्माण कार्यों के ठेकों में धांधली और रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए लेफ्टिनेंट कर्नल, सूबेदार मेजर व दो ठेकेदारों को 25 अगस्त तक रिमांड पर लिया गया है। चारों आरोपियों को पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया था। उधर, सीबीआई की टीम ने तीसरे दिन भी अंबाला में छापेमारी की, जो कि सोमवार को देर रात तक जारी रही। इस दौरान टीम ने एक और सेना के आला अधिकारी को हिरासत में लिया और उसके कार्यालय को भी खंगाला गया।

सीबीआई की टीम सोमवार दोपहर को अधिकारी के क्वार्टर पहुंची और करीब चार घंटे तक पूछताछ करते हुए उनके क्वार्टर को खंगाला। इस कार्रवाई के दौरान वहां हड़कंप का माहौल बना रहा। इस कार्रवाई से मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) कार्यालय में भी स्टॉफ सहित अन्य अधिकारियों में हलचल रही। हालांकि देर रात तक सीबीआई ने हिरासत में लिए सैन्य अधिकारी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की।

उधर, सूत्रों के अनुसार संबंधित सैन्य अधिकारी भी भ्रष्टाचार में संलिप्त हो सकता है। सीबीआई ने इस पूरे प्रकरण से आर्मी इंटेलीजेंस को अवगत करा दिया है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने सैन्य क्षेत्र में निर्माण कार्य का टेंडर दिलाने के लिए रिश्वत मांगने के मामले में सैन्य अधिकारियों और ठेकेदार समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था और उनके पास से 48.50 लाख रुपये बरामद किए थे।

दस्तावेज जब्त कर ई-मेल खंगाली

सूत्रों से मुताबिक सीबीआई की टीम ने एमईएस कार्यालय से संबंधित टेंडरों से जुड़े दस्तावेजों को भी अपने कब्जे में लिया। साथ ही पकड़े गए वरिष्ठ बैरक स्टोर अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल राहुल पवार, सूबेदार मेजर प्रदीप कुमार, ठेकेदार दिनेश कुमार व प्रीतपाल की सभी ईमेल को भी खंगाला। बताया जाता है कि रिमांड के दौरान रिश्वखोरी के मामले में बड़े खुलासे होने की उम्मीद है। बता दें कि सीबीआई की टीम को छापेमारी में लेफ्टिनेंट कर्नल के घर से 32.50 लाख रुपये तो ठेकेदारों से करीब 16 लाख रुपये बरामद हुए थे।

पोर्टल में गड़बड़ी कर चहेतों को पहुंचाते थे लाखों को फायदा 

सूत्रों ने बताया कि एमईएस के अधिकारियों व ठेकेदारों की सांठगांठ इस तरह होती थी कि पोर्टल पर पहले ही सामान का पांच से दस गुणा तक रेट बढ़ाकर डाला जाता था। संबंधित ठेकेदारों को उनके कोड वर्ड अलॉट कर दिए जाते थे। भले ही पोर्टल को कोई भी आवेदन करें और कम रेट डाले लेकिन कोड वर्ड की मदद से टेंडर उन्हें ही अलॉट होता था। बताया जाता है कि पकड़े गए ठेकेदारों के पास ही ज्यादा टेंडर थे। हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केट पैलेस यानी जैम पोर्टल लांच किया गया है। बावजूद इसके अधिकारी इस पोर्टल में भी गड़बड़ी कर चहेतों को लाखों को फायदा पहुंचाते थे। इन टेंडर में सेना के सरकारी कार्यालयों, सेना क्वार्टरों और सड़कों की मरम्मत सहित अन्य काम शामिल बताए जा रहे हैं।

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