नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गोल्ड लोन को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिससे लाखों लोगों की लोन तक पहुंच पर असर पड़ सकता है। नए नियमों के तहत, अब गोल्ड लोन केवल सोने के आभूषणों और बैंकों द्वारा जारी किए गए सिक्कों के बदले ही मिलेगा। जिनके पास सोने के बार, बुलियन या इग्नॉट्स हैं, उन्हें अब यह सुविधा नहीं मिलेगी।
जानें नया नियम…
RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे केवल उन्हीं ग्राहकों को गोल्ड लोन दें, जिनके पास पारंपरिक आभूषण या अधिकृत गोल्ड कॉइन्स हों। गोल्ड बार और अन्य भारी निवेश स्वरूप अब पात्र नहीं माने जाएंगे। यह कदम सोने के बढ़ते मूल्य और लोन डिफॉल्ट की आशंका के चलते उठाया गया है।
इस फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा कि यह फैसला गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। उन्होंने इसे आम आदमी की लोन तक पहुंच पर “अनावश्यक रुकावट” बताया।
वित्त मंत्रालय ने RBI को सुझाव :-
- ₹2 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन को इन नियमों से छूट दी जाए।
- यह नियम 1 जनवरी 2026 से लागू किए जाएं, ताकि बैंकों को पर्याप्त तैयारी का समय मिल सके।
चिंता बढ़ने का कारण?
भारत में गोल्ड लोन एक लोकप्रिय कर्ज विकल्प है, खासकर आपात स्थितियों में। लेकिन हाल के वर्षों में सोने की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई हैः –
- 24 कैरेट सोना: ₹95,760 प्रति 10 ग्राम
- 22 कैरेट सोना: ₹87,780 प्रति 10 ग्राम
- इसी वजह से गोल्ड लोन की मांग भी तेज़ी से बढ़ी है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक बैंकों के कुल ₹2,040 करोड़ के गोल्ड लोन NPA हो चुके हैं, जबकि दिसंबर 2023 में यह आंकड़ा ₹1,404 करोड़ था। यानी एक साल में लगभग 45% की वृद्धि हुई है। जब कोई व्यक्ति लोन चुकाने में असमर्थ होता है, तो उसका लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित किया जाता है।
गोल्ड लोन न चुकाने की स्थिति में बैंकों को ज्वेलरी नीलाम करनी पड़ती है। भारत जैसे देश में जहां सोने का भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्य होता है, वहां ऐसी नीलामी सिर्फ आर्थिक नहीं, भावनात्मक क्षति भी बन जाती है।