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RBI ने जारी किए नए नियम, अगर ये काम नहीं किया तो देना पड़ सकता है मुआवजा, जानें

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बिजनेसः भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक ग्राहकों के मृतक परिजनों के लिए दावा निपटान (claim settlement) प्रक्रिया को सरल बनाने और उसमें तेजी लाने के लिए नए और कड़े निर्देश जारी किए हैं। RBI के नए निर्देशों के अनुसार, अब परिजन बैंक खाते में जमा 15 लाख रुपये तक की राशि (थ्रेशोल्ड लिमिट) के लिए कानूनी दस्तावेज के बिना भी आसानी से क्लेम कर सकते हैं। सहकारी बैंकों (Co-operative banks) के लिए यह सीमा 5 लाख रुपये निर्धारित की गई है। देरी होने पर बैंकों पर जुर्माना लगाया जाएगा। RBI ने वेबसाइट पर जारी सर्कुलर में बैंकों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। 31 मार्च, 2026 तक ये निर्देश लागू किए जाने हैं।

यदि बैंक की गलती के कारण जमा (Deposit) संबंधी दावे के निपटान में देरी होती है, तो बैंक को देरी के लिए ब्याज के रूप में मृतक के परिजनों को मुआवजा देना होगा। ये मुआवजा, बैंक दर (Bank Rate) + 4% प्रति वर्ष की दर से तय ब्‍याज से कम नहीं होगा। मृतक ग्राहकों के दावों के निपटान को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों में और भी कई नियम जारी किए हैं।

जिन खातों में नॉमिनेशन या सर्वाइवरशिप क्‍लॉज (Survivorship Clause) है, उनमें नॉमिनी या उत्तरजीवी को भुगतान करने के लिए बैंक, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate), लेटर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (Letter of Administration) या वसीयत का प्रोबेट (Probate of Will) जैसे कानूनी दस्तावेजों पर जोर नहीं देगा। केवल बैंकों को ये सुनिश्चित करना होगा कि नॉमिनी को ये स्पष्ट रूप से बता दिया जाए कि वे कानूनी वारिसों के न्यासी (trustee) के रूप में ये भुगतान प्राप्त कर रहे हैं।

डिपॉजिटर्स यानी जमाकर्ता की मौत होने की स्थिति में, फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट या टर्म डिपॉजिट (Term Deposit) को बिना किसी जुर्माने (penal charge) के समय से पहले बंद करने की अनुमति दी जाएगी, भले ही एफडी लॉक-इन-पीरियड के भीतर हो।

लॉकर के दावे
सेफ डिपॉजिट लॉकर और सेफ कस्‍टडी में रखी वस्तुओं के दावों के लिए भी पूरी प्रक्रिया का स्‍टैंडर्ड तय किया गया है. बैंक को सभी आवश्यक दस्तावेज मिलने के 15 कैलेंडर दिनों के भीतर दावेदारों के साथ संपर्क कर लॉकर की सामग्री की इन्वेंट्री बनाने की तारीख तय करनी होगी। अगर बैंक 15 दिन की समय सीमा का पालन नहीं करता है, तो हर दिन की देरी के लिए दावेदार को मुआवजे के तौर पर 5,000 रुपये देने होंगे। यानी 15 की बजाय 20 दिन लगाए तो 5 दिन की देरी के लिए 25,000 रुपये देने होंगे।

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