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युवाओं के लिए वरदान बनी राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना

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ऊना के हरदीप, अशोक और संजीव योजना के प्रारंभिक लाभार्थियों में शुमार, हर महीने कमा रहे 50 हजार  

ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल सरकार की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना प्रदेश के युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना से प्रदेश के अनेकों युवा न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि प्रदेश में हरित विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह योजना मील का पत्थर बनी है।

योजना के लाभार्थियों में शामिल ऊना उपमंडल के रामपुर के 29 वर्षीय हरदीप कुमार की कहानी सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। कभी सैलून चलाकर गुजर-बसर करने वाले हरदीप ने राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना का लाभ उठाया और सरकारी सब्सिडी पर ई-टैक्सी ली। अब उनकी ई-टैक्सी जलशक्ति विभाग ऊना में अटैच है, जहां से उन्हें हर महीने 50 हजार रुपये की निश्चित आय हो रही है। यह परिवर्तन उनके जीवन में आत्मनिर्भरता और स्थिरता लेकर आया है।

हरदीप की तरह ही, ऊना जिले के अन्य लाभार्थी बढ़ेड़ा के 41 वर्षीय संजीव और दुलैहड़ के 44 वर्षीय अशोक कुमार का जीवन भी राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना से खुशहाल हुआ है। पहले निजी टैक्सी चलाने वाले इन दोनों को तेल की महंगाई और कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन इस योजना के तहत दोनों ने इलेक्ट्रिक कारें लीं, जिन्हें जलशक्ति विभाग के साथ ई-टैक्सी के तौर पर अटैच किया गया। अब वे हर महीने 50-50 हजार रुपये की निश्चित आय प्राप्त कर रहे हैं और अपने जीवन में सुखमय समृद्धि का अनुभव कर रहे हैं।

विभाग से राज्य स्तर पर प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्तमान में इस योजना में प्रदेशभर से सवा सौ से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से स्वीकृति दी जा रही है। इनमें ऊना जिले के तीन लाभार्थी भी शामिल हैं। जैसे-जैसे और आवेदन प्राप्त होंगे, उन्हें भी स्वीकृति दी जाती रहेगी।

लाभार्थियों को 50 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान

ऊना के जिला रोजगार अधिकारी अक्षय शर्मा बताते हैं कि इसमें युवाओं के लिए सब्सिडी पर ई टैक्सी खरीदने का प्रावधान किया गया है। योजना में लाभार्थियों को 50 प्रतिशत सब्सिडी और 40 प्रतिशत पर 7.9 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से बैंक लोन उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके अलावा शेष केवल 10 प्रतिशत धन लाभार्थी को देना होता है। सरकार ने यह भी व्यवस्था की है कि इन टैक्सियों को सरकारी विभागों के साथ अटैच किया जाएगा, जिसके लिए लाभार्थियों को प्रतिमाह 50 हज़ार रुपये प्रदान किए जाएंगे।

वे आगे बताते हैं कि योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को ए, बी, सी और डी श्रेणियों मे विभाजित किया गया है। ए श्रेणी में 15 लाख तक के विद्युतीय वाहनों, बी श्रेणी में 15 से 20 लाख, सी श्रेणी में 20 से 30 लाख और डी श्रेणी में 30 लाख से ऊपर के वाहन को रखा गया है। वाहनों को श्रेणी अनुसार विभागों से जोड़ा जाएगा।

विभागों में ई-वाहनों के संचालन को बढ़ावा 

उपायुक्त जतिन लाल का कहना है कि प्रदेश सरकार ने राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार के साधन बनाने कि साथ ही हरित हिमाचल बनाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाए हैं। प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से सरकारी विभागों के पुराने वाहनों को ई-वाहनों से बदला जा रहा है और विभागों में ई-टैक्सी के संचालन को प्रोत्साहित किया गया है। ऐसे में राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना में सरकारी सब्सिडी पर ई-टैक्सी लेकर रोजगार, स्थायित्व और समृद्धि के नए अवसर बने हैं।

कम खर्च में अधिक आय का मजबूत साधन

लाभार्थियों ने इस युवा-हितैषी योजना के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का तहे दिल से आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि ई- टैक्सी से उनके लिए कम खर्च में अधिक आय का मजबूत साधन बना है, जिससे जीवन में सुख और स्थिरता आई है। ई-वाहन चलाना न केवल सरल है, बल्कि यह प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण अनुकूल भी है। राज्य सरकार की यह योजना बेरोजगार युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है, साथ ही हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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