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कुटलैहड़ विस क्षेत्र में बारिश से सौ करोड़ का नुक्सान

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कुटलैहड़ में 21 सड़कें बंद,नुक्सान का आंकड़ा 68 करोड़,जल शक्ति विभाग को 25 करोड़ की चपत, अन्य 12 करोड़ का नुक्सान

ऊना/सुशील पंडित: उपमंडल बंगाणा में बीते दो दिनों की लगातार मूसलाधार बारिश ने तबाही का ऐसा मंजर दिखाया है कि प्रशासन से लेकर आम जनता तक हर कोई हतप्रभ है। आंकड़ों के अनुसार केवल लोक निर्माण विभाग को ही करीब 16 करोड़ रुपये की चपत लगी है। विभाग के एक्सईएन अरविंद लखनपाल ने बताया कि इस तबाही के चलते उपमंडल की 21 सड़कें पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं, जिससे आवागमन बुरी तरह प्रभावित है। लोक निर्माण विभाग का कुल नुक्सान अब तक 68 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसी तरह जल शक्ति विभाग भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। विभाग के एक्सईएन हरभजन सिंह ने जानकारी दी कि दो दिनों की बारिश में विभाग को 2.50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और कुल नुकसान का आंकड़ा बढ़कर 25 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है। स्थिति यह है कि विभाग की दो मुख्य योजनाएं बंद हो गई हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

राजस्व विभाग ने भी तबाही की पुष्टि करते हुए बताया कि अब तक करीब 400 रिहायशी मकान और पशुशालाएं ध्वस्त हो चुकी हैं। तहसीलदार अमित कुमार के अनुसार विभाग को केवल पिछले दो दिनों में ही 12.50 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ है। इसके अलावा कृषि और पंचायती राज विभाग के अंतर्गत किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं और पंचायत स्तर पर छोटे-मोटे ढांचागत नुकसान भी दर्ज किए गए हैं। सिर्फ सरकारी आंकड़ों की बात करें तो उपमंडल बंगाणा में कुल नुकसान का आंकड़ा 100 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। लेकिन असल नुक्सान केवल पैसों तक सीमित नहीं है। जिन परिवारों के मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं, जिनके खेतों की फसलें बह गई हैं, जिनके पशुशालाएं ध्वस्त हो गईं,उनके लिए यह नुकसान उनकी जिंदगी की कमाई और सपनों के चकनाचूर होने जैसा है।एक-एक रुपये जोड़कर गरीब किसान और मजदूर अपना छोटा सा आशियाना खड़ा करता है। वर्षों की मेहनत के बाद जब दीवारें खड़ी होती हैं, तब जाकर जीवन में एक सुरक्षित छत का एहसास होता है। लेकिन जब इसी मेहनत का फल पलक झपकते ही मलबे में बदल जाए तो इंसान की हिम्मत भी टूट जाती है।

यह आपदा भी लोगों के लिए वैसा ही दर्द लेकर आई है। ग्रामीणों की आंखों के सामने उनके सपने बिखरते दिखे और उनके पास सिर्फ आंसू ही बचे। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस भारी नुक्सान की भरपाई कैसे होगी? सरकार और प्रशासनिक मशीनरी राहत और पुनर्वास कार्यों में जुटी है, लेकिन सौ करोड़ के पार पहुंच चुका यह नुक्सान जल्द पूरा होना संभव नहीं लगता। राहत राशि और मुआवजे से अस्थायी सहारा जरूर मिलेगा, परंतु टूटी छत और बर्बाद खेतों को दोबारा खड़ा करने के लिए सालों लग जाएंगे। उपमंडल बंगाणा की यह स्थिति एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करती है कि प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए स्थायी समाधान कब तलाशे जाएंगे। फिलहाल यहां के लोग टूटे हुए दिलों और बिखरे हुए आशियानों के बीच केवल उम्मीद की डोर पकड़कर आगे बढ़ने को मजबूर हैं।

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