मंडी: हिमाचल प्रदेश एक बार फिर से आसमान से आफत बरसने से राज्य में भारी नुकसान हो गया है। दरअसल, बादल फटने की घटनाओं ने हिमाचल को झकझोरकर रख दिया है। बीते दिन 11 जगहों पर बादल फटे हैं। जिसमें केवल मंडी जिले के गोहर, करसोग, थुनाग और धर्मपुर में 7 जगहों पर बादल फटने से कई मकान जमींदोज हो गए, जबकि फ्लैश फ्लड में भी काफी जानमाल का नुकसान हुआ। इन घटनाओं में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से ज्यादा लोग लापता हो गए। चुलाथाज में तो ऐसा सैलाब आया कि देवदार के सैकड़ों पेड़ तिनकों की तरह बह गए। तबाही ऐसी है कि इसने साल 2023 के बाढ़ की याद दिला दी।
हिमाचल में 24 घंटे के दौरान सबसे ज्यादा बारिश मंडी के संघोल में हुई। यहां 223.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अब तक 500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान जताया है और कहा है कि ये आंकड़ा और बढ़ सकता है। मंडी, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और राजधानी शिमला में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। इन जिलों के कुछ इलाकों में फ्लैश फ्लड आने की संभावना है। मंडी में बारिश के चलते पंडोह डैम का जलस्तर तेजी से बढ़कर 2922 फीट तक पहुंच गया, जबकि खतरे का निशान 2941 फीट पर है।
मंडी शहर में बादल फटने की घटनाओं और बाढ़ से ब्यास नदी उफान पर है। आधी रात नदी में जलस्तर इतना बढ़ गया कि इसने साल 2023 की बाढ़ की याद दिला दी। ब्यास नदी ने ऐसा रौद्र रूप दिखाया कि शहर के प्राचीन पंचवक्त्र महादेव मंदिर तक पानी लबालब भर गया। शहर में जगह-जगह जलभराव हो गया। यहां सभी छोटे बड़े नदी-नाले उफान पर हैं। ब्यास नदी पर बने पंडोह बांध से डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है। पंडोह बांध का जलस्तर खतरे के निशान 2,922 फुट के मुकाबले 2,941 फुट तक पहुंच गया है।
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, बारिश के कारण राज्य में कुल 406 सड़कें बंद हैं, जिनमें से 248 अकेले मंडी जिले में हैं। मंडी में 994 ‘ट्रांसफार्मर’ पर भी इसका असर पड़ा है। चंडीगढ़-मनाली चार लेन मार्ग वर्तमान में द्वाडा, झलोगी और बनाला सहित कई स्थानों पर अवरुद्ध है, जबकि कमांद-कटौला-बजौरा मार्ग केवल हल्के मोटर वाहनों (एलएमवी) के लिए खुला है। कई स्थानों पर यातायात संबंधी समस्याओं के कारण यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।