मोहालीः पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर गुलाबो मौसी कही जाने वाली कलाकार निर्मल ऋषि को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 80 साल की उम्र में भी पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री की रौनक निर्मल ऋषि को 41 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह अवॉर्ड मिला है। इन 41 सालों में निर्मल ऋषि ने 80 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। निर्मल ऋषि का जन्म 28 अगस्त 1946 को बठिंडा के खिवा कलां गांव में हुआ था। आजादी के बाद अब यह इलाका मानसा जिले का हिस्सा है।
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इनके पिता बलदेव कृष्ण ऋषि गांव के सरपंच थे। कहा जाता है कि निर्मल ऋषि को थिएटर और भांगड़े का बहुत शौक था। स्कूल से ही वह थिएटर करने लगी थीं। निर्मल ऋषि का पालन पोषण उनकी बुआ ने किया। उन्होंने श्रीगंगानगर से 10वीं पास की और जयपुर से बीएड की डिग्री प्राप्त की। वहां उन्होंने थिएटर, NCC और खेलों में भाग लिया। उन्हें बेस्ट कैडेट का सम्मान भी मिला। इतना ही नहीं, राजस्थान की तरफ से वह खेलती रहीं। मास्टर करने के लिए वह राजस्थान से पटियाला आ गईं और सरकारी कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन में MA की। निर्मल ऋषि ने 1966 में हरपाल टिवाणा के निर्देशन में पहला नाटक अधूरे सपने का मंचन किया।
यह उनके जीवन का पहला नाटक था। इस बीच उन्हें बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर ओम पुरी के साथ भी थिएटर करने का मौका मिला। थिएटर से वह 1984 में बड़े पर्दे पर आ गईं और फिल्म लौंग दा लश्कारा में गुलाबो मौसी का किरदार निभाया।कहा जाता है कि वह इस किरदार से इस कदर हिट हुईं कि उनके पास प्रोड्यूसरों की लाइन लग गई। सभी उन्हें गुलाबो मौसी का किरदार दोबारा करने के लिए कह रहे थे, लेकिन निर्मल ऋषि ने वही किरदार दोबारा करने से मना कर दिया।
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