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पंजाबः सरकार की बढ़ी मुश्किलें, अब आढ़तियों ने खोला मोर्चा

मोगाः पंजाब सरकार की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही। सरकार के खिलाफ किसानों के बाद आढ़तियों ने मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, मंडियों में आढ़त कम करने को लेकर पंजाब के आढ़तियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान विजय कालरा का कहना है कि पहले मंडियों में आढ़त ढाई प्रतिशत थी जिसे अब सरकार ने एक प्रतिशत करने का फैसला लिया है। आढ़तियों की यूनियन ने कहा कि महंगाई के इस युग में सरकार आढ़त कम करके उनपर और उनके साथ जुड़े लाखों परिवारों को पर कुठाराघात कर रही है। आढ़तियों का कहना है कि 25 साल पहले 1997 में महंगाई को देखते हुए आढ़त ढाई प्रतिशत की गई थी। अब तो महंगाई आसमान छू रही है और सरकार आढ़त ढाई से एक प्रतिशत कर रही है। 

केंद्र सरकार के एजेंडे पर काम कर रही पंजाब सरकार: प्रधान विजय कालरा

पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान विजय कालरा ने कहा कि सरकार मंडियों से जुड़े आढ़तियों से लेकर पल्लेदारों तक लाखों परिवारों का रोजगार छीनने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि पंजाब की सरकार केंद्र सरकार के एजेंडे पर काम कर रही है। पंजाब में मंडियों को खत्म करने का कानून केंद्र सरकार ने बनाया था। जिसका किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर बैठकर सवा साल तक विरोध किया। लेकिन उसी बिल को हूबहू पंजाब में लागू कर आम आदमी पार्टी की सरकार मंडियों को बंद करने पर तुली हुई है। 

कालरा ने कहा कि सरकार आढ़तियों पर दबाब बना रही है कि किसानों की फसलों की लैंड मैपिंग करें। यह सारा रिकार्ड आगे राजस्व विभाग को दें। उन्होंने कहा कि आढ़ती का काम मंडी में फसल बेचना है। अपने प्रोफेशन के उलट वह लैंड मैपिंग का काम कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब की फसल जब पंजाब में ही बिक रही है तो लैंड मैपिंग की क्या जरूरत है। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान विजय कालरा ने कहा कि पंजाब का किसान जरूरी नहीं कि अपने नजदीक लगती मंडी में ही फसल बेचता है। वह राज्य में अपनी नजदीक की मंडी की बजाय दूसरी तीसरी जगहों पर भी फसल बेचता है। उन्होंने चावल की 1121 फसल का उदाहरण देते हुए कहा कि किसान इसे अमृतसर, जंडियाला, तरनतारन में बेचने जाते हैं। उन्हें वहां से नगद पैसे मिलते हैं। अब उनकी फसल की मैपिंग उसकी नजदीकी आढ़ती कैसे कर सकता है। 

पंजाब में दिल्ली की तर्ज पर लगाया जाएगा बड़ा धरनाः आढ़ती एसोसिएशन

आढ़ती एसोसिएशन का कहना है कि मंडियों से करीब दस लाख परिवार सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। यदि सरकार ने अपना फैसला वापस न लिया तो पंजाब में दिल्ली की तर्ज पर बड़ा धरना लगाया जाएगा और यहां पर भी सिंघु बार्डर बना दिया जाएगा। एसोसिशशन के पदाधिकारियों ने कहा कि उनके आंदोलन में एसा नहीं है कि किसान साथ नहीं है। किसान भी उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार एसे फैसले किसानों औऱ आढ़तियों के बीच दरार डालने के लिए भी ले रही है। लेकिन सरकार को उसकी नीति वह कामयाब नहीं होने देंगे। 

कृषि मंत्री कुलदीप धालीवाल के साथ आज आढ़तियों की बैठक 

आढ़तियों के विरोध को देखते हुए कृषि मंत्री कुलदीप धालीवाल ने आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ आज बैठक फिक्स कर ली है। चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में आढ़ती एसोसिएशन अपनी मांगे कृषि मंत्री के समक्ष रखेगी। एसोसिएशन के प्रधान ने कहा कि आढ़तियों का अगला एक्शन क्या होगा यह आज की बैठक पर निर्भर करता है। य़दि बैठक में उनकी मांगे मान ली गईं और फैसला वापस ले लिया गया को आंदोलन टाल दिया जाएगा नहीं तो आज से ही पूरे पंजाब में आंदोलन का बिगुल बजा दिया जाएगा। पंजाब की सारी मंडियों को बंद कर आढ़ती से लेकर पल्लेदार सड़कों पर बैठक जाएंगे।

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