चंडीगढ़ः राज्य में सोशल मीडिया पर प्रतिदिन अश्लील और गुंडागर्दी का कंटेट बढ़ता ही जा रहा है। इस तरह के कंटेट से युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है जिसके चलते आज की युवा पीढ़ी अपराधों की और आकृषित हो रही है और इसी वजह से क्राइम भी बढ़ता जा रहा है। इसी का संज्ञान लेते हुए पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम को पत्र लिखा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ऐसे वीडियो को हटाने की मांग की जो किशोरों के दिमाग पर बुरा प्रभाव डालते हैं तथा महिलाओं के प्रति द्वेष फैलाते हैं।

पत्र में लिखा कि पिछले कई दिनों से फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत सोशल मीडिया पर कुछ व्यक्तियों द्वारा पोस्ट किए गए ऐसे वीडियो की खूब चर्चा हो रही है, जो समाज में बुरा प्रभाव डाल रहे हैं और किशोरों पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। ऐसी चर्चाओं के कारण किशोरों का ध्यान उन वीडियो को देखने की ओर आकर्षित हो रहा है, जिन्होंने पहले शायद उन वीडियो को कभी नहीं देखा होगा, लेकिन अब उनके चर्चा में आने के कारण वे ऐसी सामग्री को देखने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।
यह देखा गया है कि पिछले 8-10 दिनों में सोशल मीडिया पर तथाकथित प्रभावशाली लोगों के फॉलोअर्स में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आयोग को चिंता है कि इन बढ़े हुए फॉलोअर्स में एक बड़ा हिस्सा बच्चों का होगा। इस संबंध में पंजाबी विचारक डॉ. पंडित राव धारनवार, सहायक प्रोफेसर, चंडीगढ़ ने आयोग में शिकायत भी दर्ज कराई है। इसलिए आयोग की मांग है कि सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर अभद्र भाषा, दोहरे अर्थ वाले वीडियो, ड्रग्स और बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देने वाले वीडियो को तत्काल प्रभाव से हटाने और प्रतिबंधित करने की कार्रवाई की जानी चाहिए।
वहीं पुलिस को ऐसे कंटेट पर नजर रखने के लिए मुख्यालय में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना चाहिए, जो इस पर कार्रवाई कर सके। अगर ऐसी सामग्री विदेश से अपलोड की जाती है तो उनकी साइट पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की जानी चाहिए। इसको लेकर बीएनएस 2023, आईटी अधिनियम, 2000 और आयकर अधिनियम, 2012 के तहत मामले दर्ज किए जाने चाहिए।