आपराधिक मामलों की FIR दर्ज करने से लेकर मामले में कार्रवाई करने और अदालती प्रोसिडिंग तक में नियम / कानूनों से बेपरवाह पंजाब पुलिस विभाग पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। क्योंकि एक के बाद एक ऐसे 2 मामले सामने आए हैं, जिनमें पंजाब पुलिस द्वारा लापरवाही बरती गई।
पहला मामला: पंजाब पुलिस ने NDPS एक्ट के तहत एक FIR दर्ज की थी, लेकिन पुलिस ने FIR में धर्म का जिक्र कर दिया। इस संबंध में हाईकोर्ट ने पंजाब के DGP को हलफनामा दाखिल करके जवाब देने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने कहा है कि DGP ने मार्च 2022 में आदेश जारी कर कहा था कि FIR में धर्म का जिक्र न हो, लेकिन वह आदेश को लागू नहीं करवा पा रहे। जालंधर निवासी अमनदीप ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मांगी थी। हाईकोर्ट ने पाया कि दर्ज FIR में आरोपी का धर्म सरदार के तौर पर दर्ज है।
दूसरा मामला: इस मामले में पोक्सो एक्ट में 4 वर्ष में एक भी गवाही नहीं होने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रवैया अपनाते हुए जांच अधिकारी और सरकारी वकील का वेतन रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक गवाहियां पूरी नहीं होंगी, तक तक वेतन जारी नहीं किया जाएगा। होशियारपुर निवासी बंटी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पोक्सो एक्ट में दर्ज केस में जमानत मांगी थी। इस दौरान कोर्ट ने पाया कि केस दर्ज हुए 4 वर्ष बीत गए, लेकिन एक भी गवाही नहीं हुई है। कोर्ट ने याची को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि जांच अधिकारी और सरकारी वकील अपना काम सही ढंग से करें, इसके लिए दंडात्मक परिस्थितियां तैयार करना जरूरी है।
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