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Punjab News: Toll Plaza पर कर्मियों ने लगाया धरना, मैनेजर का आया बयान, देखें वीडियो

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लुधियाना: लाडोवाल टोल प्लाज पर वर्करों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। इस मामले में कर्मियों का कहना है कि केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी द्वारा ऐलान किया गया है कि देश के सभी टोल प्लाजा कैशलेस कर दिए जाएंगे और इन्हें सैटेलाइट डिजिटल सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इसके विरोध में आज लाडोवाल टोल प्लाजा पर रोष रैली की जा रही है। वहीं मामले की जानकारी देते हुए टोल प्लाजा के सीनियर मैनेजर विपिन ने बताया कि उन्हें केंद्रिय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा ऐलान किया गया है कि 28 दिसंबर तक टोल प्लाजा कैशलेस किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वह खुद इस मामले को लेकर वह नीतिन गडगरी से निवेदन करेंगे कि कोई भी कर्मचारी बेरोजगार ना हो।

उन्होंने कहा कि अभी तक केंद्र की ओर से कोई सूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन उनके द्वारा उच्च अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया गया है। बताया जा रहा है कि कैशलेस होने से 10 लाख लोग बेरोजगार हो जाएगा। कर्मचारियों द्वारा आज करीब 11:30 बजे प्रदर्शन शुरू किया गया है जो दोपहर 2 बजे तक चलेगा। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) के स्टेट प्रेसिडेंट सेक्रेटरी चंद्रशेखर और टोल प्लाजा वर्कर्स यूनियन के स्टेट प्रेसिडेंट दर्शन सिंह लाडी और स्टेट जनरल सेक्रेटरी सुखजीत सिंह संधू के मुताबिक इस फैसले से देश के टोल प्लाजा पर काम करने वाले 10 लाख स्किल्ड वर्कर बेरोजगार हो जाएंगे, देश का पूरा रोड ट्रांसपोर्ट देश के चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों के हाथ में चला जाएगा और देश के बड़ी संख्या में टोल फ्री और कंसेशनल टोल पास होल्डर्स पर अरबों रुपये का नया बोझ पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अभी तक हर टोल प्लाजा के दायरे में आने वाले आस-पास के गांवों और कस्बों के वाहन चालकों की गाड़ियां फ्री हैं और इसी तरह 4 दर्जन से ज्यादा तरह की वाहन सेवाओं के चालकों और मालिकों को टोल फ्री सेवाएं दी जा रही है। सैटेलाइट सिस्टम से ये सभी गाड़ियां भी ऑटोमैटिक टोल फीस के दायरे में आ जाएंगी। कोई भी गाड़ी जितने किलोमीटर के लिए सड़क का इस्तेमाल करेगी, सैटेलाइट सिस्टम के जरिए गाड़ी मालिक के बैंक अकाउंट से पैसे कट जाएंगे। नेताओं ने साफ किया कि इस सिस्टम से टोल प्लाजा कंपनियों के चुने हुए कॉरपोरेट घरानों को अरबों रुपये की पूंजी मिलेगी, जबकि गाड़ी के मालिकों और ड्राइवरों को पैसे का बोझ उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ऐसा करके सरकार सस्ता और आसान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर देने की जिम्मेदारी से बचना चाहती है।

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