चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल विवाद का मामला लगातार गरमाता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है। जिसको लेकर आज पंजाब सरकार की ओर से दायर समीक्षा याचिका पर सुनवाई हुई। जहां केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और बीबीएमबी की तरफ इस मामले में अपना जवाब दाखिल किया गया है। वहीं दूसरी ओर पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए 2 दिन का समय मांगा है।
इस पर हाईकोर्ट सहमति दे दी है। ऐसे में इस मामले की अगली सुनवाई 22 मई तय की गई है। सरकार ने अदालत में यह तर्क दिया था कि राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 8 मई, 2025 को लाइव अदालती कार्यवाही के दौरान बीबीएमबी चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने माना कि वे सिर्फ स्थानीय नागरिकों से घिरे हुए थे और पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने में सहायता की थी। हालांकि, 9 मई, 2025 को दिए गए एक हलफनामे में त्रिपाठी ने विपरीत आरोप लगाया कि उन्हें गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया था, जो कि उनके पिछले अदालती बयान के बिल्कुल विपरीत है।
जिसके परिणामस्वरूप, पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा-379 का इस्तेमाल किया। इसमें हाइकोर्ट से बीएनएसएस की धारा-215 के तहत अपराध की जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया, जो जानबूझकर झूठा हलफनामा जमा करने से संबंधित है। इसके अलावा, राज्य ने 6 मई, 2025 के उच्च न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए त्रिपाठी और संजीव कुमार, निदेशक (जल विनियमन) दोनों के विरुद्ध अदालत की अवमानना संबंधी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।