मोहालीः मंडी गोबिंदगढ़ के स्क्रैप कारोबार से 8 लाख की रिश्वत के मामलमें गिरफ्तर पूर्व डीआईजी हरचरण सिंह के मामले में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, आय से अधिक संपत्ति मामले में विजिलेंस ने हाल ही में पूर्व डीआईजी के खिलाफ केस दर्ज किया है। लेकिन विजिलेंस की टीम आरोपी का रिमांड लेने में कामयाब नहीं हो पाई है। दरअसल, विजिलेंस की टीम ने शनिवार को कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जिसकी आज चंडीगढ़ सीबीआई की कोर्ट में सुनवाई हुई।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहाक कि पूर्व डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर का पहले ही सीबीआई ने रिमांड हासिल किया हुआ है। ऐसे में विजिलेंस द्वारा लगाई गई रिमांड की याचिका खारिज की जाती है। ऐसे में यह साफ है कि फिलहाल उससे सीबीआई ही पूछताछ करेगी। अभी तक मामले का आदेश नहीं आया है। आदेश आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि एप्लीकेशन क्यों खारिज हुई है।
बताया जा रहा है कि सीबीआई ने कोर्ट में डीआईजी भुल्लर के मोबाइल से मिले अहम सबूतों का जिक्र किया। सीबीआई वकील नरेंद्र सिंह ने बताया कि फोन चैट में कई अहम बातें सामने आई हैं। चैट से रिश्वतखोरी के एक पैटर्न का संकेत मिल रहा है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छिपाए, बरामद करना जरूरी: नरेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस छिपाए हैं, जिन्हें बरामद करना जरूरी है, साथ ही पैसे के ट्रेल की जांच भी बाकी है। वहीं, भुल्लर के वकील ने कहा कि सीबीआई ने भुल्लर को प्रोडक्शन वारंट पर लेने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया।
इस पर सीबीआई वकील ने जवाब में कहा कि यह रिश्वत का मामला है और कई धाराओं के तहत दर्ज है, ऐसे में नोटिस देने की जरूरत नहीं होती। पूर्व डीआईजी के वकील ने यह भी कहा कि भुल्लर को मोहाली कोर्ट में पेश किया जाना था, लेकिन सीबीआई ने बीच में ही एप्लिकेशन दाखिल कर दी। इस पर सीबीआई के वकील ने बताया कि बिचौलिए कृष्नु की रिमांड के दौरान कुछ अहम सबूत मिले हैं, इसलिए भुल्लर का रिमांड लेना जरूरी है ताकि जांच आगे बढ़ाई जा सके। पूर्व डीआईजी और बिचौलिए कृष्नु से आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है। कृष्नु पहले से सीबीआई हिरासत में है।