मोहालीः पंजाब में पिछले कुछ महीनों से पादरियों द्वारा कथित धर्म प्रचार के नाम पर लोगों को गुमराह करने, विशेषकर भोली-भाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनके साथ बलात्कार करने के मामले सामने आ रहे हैं। सबसे पहले, पास्टर बजिंदर और जशन गिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और उनकी असली पहचान जनता के सामने आ गई है। बलात्कार के बाद एक लड़की की मौत का ऐसा ही एक अन्य मामला जिले से सामने आया है। आज यहां मोहाली प्रेस क्लब में पीड़िता के पिता विक्रम मसीह व समाजसेवी सिमरनजीत सिंह ने अपनी दास्तान सुनाते हुए बताया कि वह गुरदासपुर के एक गांव के निवासी हैं।
उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने अपनी धार्मिक आस्था के चलते अबुलखैर में पादरी जशन गिल के शिविर में जाना शुरू किया था। इस दौरान उसने अपनी 21 वर्षीय बेटी, जो बीसीए की छात्रा थी, को बहला-फुसलाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने शुरू कर दिए। इस दौरान लड़की गर्भवती हो गई। यह जानकारी मिलते ही पादरी जशन गिल ने कानून से बचने के लिए लड़की को चुपके से गर्भपात के लिए मजबूर कर दिया और इस अवैध गर्भपात के लिए बनाए गए एक नकली डॉक्टर की मदद से लड़की का गर्भपात करवा दिया। एक अप्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा जल्दबाजी में किया गया यह गर्भपात घातक साबित हुआ और पिता विक्रम मसीह ने भारी मन से बताया कि कुछ दिन बाद 2023 में संक्रमण फैलने के कारण बच्ची की दर्द से मौत हो गई।
इस घटना के तुरंत बाद पुलिस थानों पर हमलों का सिलसिला शुरू हो गया। परिवार ने आरोप लगाए कि पास के दीनानगर पुलिस स्टेशन में पादरी जशन गिल के खिलाफ मामला दर्ज कराने गए परिवार को चौकी प्रभारी रविंदर कुमार और एसएचओ जतिंदर कुमार ज्योति द्वारा बार-बार परेशान किया गया और बिना कोई कार्रवाई किए खाली कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहकर बार-बार वापस भेज दिया गया। पीड़ित परिवार ने करीब 70 दिन बाद एसएसपी के हस्तक्षेप से मामला दर्ज किया गया। पीड़ितों का आरोप है कि अवैध गर्भपात करने वाली फर्जी डॉक्टर कुलवंत कौर के बजाय उसकी नौकरानी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
अब पीड़ित परिवार फिर से थाने के चक्कर लगा रहा है और मांग कर रहा है कि गर्भपात करने वाले फर्जी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। पीड़ितों ने आरोप लगाए कि एसएचओ अमृतपाल सिंह रंधावा मामला दर्ज करने के बजाय उन्हें परेशान कर रहे हैं। एसएचओ पीड़ित परिवार पर समझौता करने का दबाव बना रहा हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस की धमकियों के कारण हम अपना शहर और घर छोड़कर गुरु की नगरी श्री अमृतसर साहिब में न्याय के लिए भटक रहे है। पीड़ितों ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान तथा डीजीपी पंजाब पुलिस के समक्ष मामले को रखने के लिए मीडिया से राबता किया है।
पीड़ित परिवार के वकील अनिल सागर ने कहा कि धर्म के नाम पर इस तरह से बच्चे का शोषण करना मानवता का घोर अपमान है। उन्होंने कहा कि एक तरफ हम चांद पर पहुंच गए हैं, लेकिन दूसरी तरफ कुछ धार्मिक और राजनीतिक नेताओं के दबाव में लोगों को न्याय दिलाने वाली पुलिस खुद न्याय देने से इनकार कर रही है। उन्होंने कहा कि इन पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए। इस बीच, मामले में 5 सदस्यीय एसआईटी का भी गठन किया गया है, जो अमृतसर के एसपी स्तर के अधिकारी के अधीन है। इस बीच जब मामले की जानकारी लेने के लिए एसएचओ अमृतपाल सिंह रंधावा से फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।