राजोआना को लेकर शिरोमणि कमेटी के मैंबर ग्रेवाल का आया बयान
अमृतसरः बलवंत सिंह राजोआना का मामला एक बार फिर राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की दया याचिका पर फैसले में देरी पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने पूछा है कि बेअंत सिंह की हत्या के दोषी को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बीरबल सिंह की 1995 में हत्या के दोषी मृत्यु दंड प्राप्त बलवंत सिंह राजोआना को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई, जबकि केंद्र ने इसे ‘गंभीर अपराध’ बताया है। राजोआना पिछले 30 वर्षों से जेल में है, जिनमें से 15 साल उसने मृत्यु दंड की प्रतीक्षा में बिताए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अपराध की गंभीरता के बारे में जानकारी दी। वहीं इस मामले में शिरोमणि कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजोआना पिछले 30 वर्षों से फांसी की कोठरी में बंद है। उसे परोल पर सिर्फ 3 घंटों की छूट मिली है। एक घंटा पिता के भोग के लिए और 2 घंटे भाई के भोग के लिए मिले। उन्होंने कहा कि यह बात सिख समुदाय के लिए एक बड़ा सवाल है कि क्या इस देश में उनके साथ न्याय हो रहा है जिन्होंने इस देश की रक्षा और निर्माण के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।
ग्रेवाल ने कहा कि हम मानवाधिकारों की बात तो बहुत करते हैं, लेकिन राजोआना के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार पर कोई सवाल नहीं उठाता। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को सरकारें बड़े स्तर पर मनाती हैं पर क्या वे सिखों के साथ न्याय भी कर रही हैं? उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर को आने वाले फैसले को लेकर सिख समुदाय बहुत बेताबी से इंतजार कर रहा है। यह फैसला सिर्फ एक व्यक्ति की जिंदगी का नहीं बल्कि सिख समुदाय के विश्वास का मामला है। ग्रेवाल ने अपील की कि इस मामले को केवल कानूनी प्रक्रिया के रूप में नहीं बल्कि एक पूरे समाज की भावना के रूप में समझा जाए।
बता दें कि बेंच ने नटराज से पूछा, ‘अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई? इसकी जिम्मेदारी किसकी है? कम से कम हमने इस पर रोक नहीं लगाई।’ सुप्रीम कोर्ट में राजोआना की ओर से मृत्यु दंड को आजीवन कारावास में बदलने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई हो रही है। यह याचिका उसकी मर्सी पिटीशन पर देरी के आधार पर दायर की गई है। सीनियर वकील मुकुल रोहतगी, जो राजोआना की पैरवी कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल की मर्सी पिटीशन पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। नटराज ने बताया कि वे निर्देश लेंगे और बेंच को स्थिति से अवगत कराएंगे। रोहतगी ने कहा, ‘कोई नहीं जानता कि क्या चल रहा है। क्या राजोआना अलग जेल में है या मानसिक रूप से ठीक है, यह भी स्पष्ट नहीं है।’ उन्होंने यह भी कहा कि यदि मृत्यु दंड को बदलना है, तो कम्यूटेशन (आजीवन कारावास) होना चाहिए, जिससे राजोआना बाहर आ सकता है।