पटियालाः भारत-पाकिस्तान विभाजन से जुड़े केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोर्ट की टीम ने डीसी की गाड़ी को कुर्क कर लिया। इस दौरान टीम ने डीसी कार्यालय से अन्य सामान भी हटा दिया। दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के 77 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिनजख्म अभी नहीं भरे है। ऐसा ही एक मामला पटियाला के गांव झील से सामने आया है। जहां बंटवारे के बाद अपनी खोई जमीन के लिए पटियाला के परिवार ने 77 वर्ष तक लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ी।
बताया जा रहा है कि जमीन सरकार ने बेच दी थी। कोर्ट ने पटियाला प्रशासन को जमीन लौटाने या पैसे देने का आदेश दिया था। जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो वीरवार को कोर्ट की टीम डीसी दफ्तर, कमिश्नर दफ्तर, एसडीएम दफ्तर और तहसील दफ्तर में लगे एसी, पंखे, कुर्सियां, टेबल, वाटर कूलर, अलमारी व अन्य सामान उठाने पहुंच गई। इससे अधिकारियों में अफरा-तफरी मच गई। हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस मामले में सोमवार यानी आज तक का समय मांगे जाने पर टीम वापस लौट गई।
याचिकाकर्ता कमाल अहमद ने बताया कि उनके पारिवारिक की सदस्य कनीज फातिमा वर्ष 1947 से पहले यहां पटियाला के गांव झिल में रहती थीं। कनीज फातिमा देश के बंटवारे के बाद मलेरकोटला आ गई थीं और जब हालात शांत हुए तो उन्हें पता चला कि झील गांव में उनकी सारी जमीन प्रशासन ने बेच दी है। इसके बाद परिजनों ने कोर्ट में मामला दायर किया। 2008 में कनीज फातिमा की मौत के बाद 2014 में निचली अदालत ने परिवार के पक्ष में फैसला सुनाया और पूरी जमीन का मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ प्रशासन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गया। 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जमीन को कनीज़ फातिमा के परिवार को बाजार दर पर वापस किया जाए या वर्तमान दर पर पूरी राशि का भुगतान किया जाए।