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Punjab News: फिर जलने लगी पराली 90 मामले दर्ज, कई किसानों पर जुर्माना और FIR दर्ज

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चंडीगढ़ः उत्तर भारत में शरद ऋतु शुरू होने से पहले पराली जलाने के मामले बढ़ने लगते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद पंजाब के खेतों में पराली का जलना जारी है। बीते दिन कुल मामलों की गिनती बढ़कर 90 हो गई। दरअसल, कल 8 नए मामले सामने आए। पंजाब में 15 सितंबर सेटेलाइट के जरिये पराली जलाने के मामलों की माॅनीटरिंग हो रही है। दावों के विपरीत तब से रोजाना खेतों में पराली जल रही है। पराली जलाने में अब तक सबसे अधिक 51 मामले अमृतसर में सामने आए हैं। पराली जलाने के 47 मामलों में कार्रवाई करते हुए 225000 का जुर्माना लगाया गया है।

वहीं 49 मामलों में BNS के सेक्शन 223 के तहत FIR भी दर्ज की गई है। पंजाब सरकार पराली जलाने से रोकने को लेकर कई कदम उठा रही है, फिर भी ऐसा में मामले आने बंद नहीं हो रहे हैं। बता दें, खेत को साफ करने के लिए पराली जलाना किसानों को सस्ता पढ़ता है, जिसकी वजह से इसे रोकना सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है। इसके चलते पंजाब के शहरों का प्रदूषण भी बढ़ने लगा है।

रविवार को बठिंडा का एक्यूआई 175 दर्ज किया गया जो येलो जोन में रहा। डाॅक्टरों के मुताबिक इस तरह के एक्यूआई में ज्यादा देर तक बाहर रहने से खास तौर से सांस व दिल के रोगों से पीड़ित मरीजों को समस्या हो सकती है। अमृतसर के बाद तरनतारन में सबसे अधिक 11 मामले, पटियाला में 10, बरनाला में दो, बठिंडा, फरीदकोट, फिरोजपुर, व जालंधर में एक-एक मामला, कपूरथला में तीन, मालेरकोटला में चार मामले, होशियारपुर में दो, संगरूर में भी दो और एसएएस नगर में भी एक मामला हुआ है।

32 मामलों में पराली जलाने वाले किसानों की जमीन रिकॉर्ड में रेड एंट्री दर्ज की गई है। जमीन रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री होने पर किसान ना तो अपनी जमीन बेच सकता है और ना ही उसे गिरवी या फिर उस जमीन पर लोन ले सकता है। पंजाब के कंट्रोल रूम सुपरवाइजर युग ने बताया, “सैटेलाइट अलग-अलग सेंसरों के जरिए पराली जलाने की घटनाओं का पता लगाते हैं और हमारे अधिकारी डेटा की निगरानी करते हैं।

संबंधित क्षेत्र के नोडल और क्लस्टर अधिकारी घटना के बारे में SDM को सूचित करते हैं। एक टीम तुरंत मौके पर पहुंचती है और किसानों को पराली न जलाने की सलाह देती है।” उन्होंने कहा कि निरंतर प्रयासों से किसान पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में ज्यादा जागरूक हुए हैं और कई अब इस प्रथा से बच रहे हैं। हम उन्हें राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताते हैं, जो पराली जलाने के विकल्पों का समर्थन करती हैं।

 

 

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