अमृतसरः शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने 328 पावन स्वरूपों के मामले में दर्ज पर्चे को लेकर एसजीपीसी के मुख्य कार्यालय, में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह पर्चा बिना पूरी जांच के दर्ज किया गया है और इसके पीछे केवल राजनीति ही है। धामी ने स्पष्ट किया कि 328 स्वरूपों के मामले में सेवा कर्ता से लेकर मुख्य सचिव तक, जिनकी भी जिम्मेदारी बनती थी, सभी के खिलाफ एसजीपीसी ने कारवाई की। उन्होंने दो टूक कहा कि एसजीपीसी का किसी भी दोषी को बचाने की कोई मंशा नहीं है और ना ही समिति का उनके साथ कोई सरोकार है।
धामी ने बताया कि 27 अगस्त 2020 के मतानुसार दोषी अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग कार्रवाई की गई थी। बाद में 5 सितंबर 2020 को संशोधन कर पुलिस में मामला ना दर्ज करने का फैसला लिया गया। क्योंकि सभी की राय थी कि यह मामला श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के अनुरूप निपटाया जाए। उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी के नियमों में कहीं भी पुलिस को मामला दर्ज करने का नियम नहीं है। एसजीपीसी प्रमुख ने हाईकोर्ट में चल रहे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ कर्मचारी अदालत गए, कुछ बहाल हुए, लेकिन नियमों के अनुसार उनको दोबारा मुअत्तल करके चार्जशीट किया गया।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में भी माना कि शिरोमणि कमेटी ने अपने सर्विस नियमों के अनुरूप कार्रवाई की है। इसके अलावा, पुलिस को पर्चा दर्ज करने संबंधी दाखिल की गई याचिकाओं को भी अदालत ने खारिज कर दिया है। धामी ने कहा कि 2021 में प्रदेश सरकार ने स्वयं कोर्ट में जवाब देकर शिरोमणि कमेटी के फैसलों पर मोहर लगाई थी, लेकिन अब उसे ही खारिज किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि 5 साल पहले दिए गए जवाब के बाद प्रशासन ने अब तक क्या किया है।
राजनीतिक दोषों पर बोलते हुए धामी ने कहा कि उनके ऊपर अक्सर अकाली दल का बुलारा होने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन उन्हें इस बात का गर्व है कि वह शिरोमणि अकाली दल के सिपाही हैं। उन्होंने दावा किया कि सब कुछ श्री अकाल तख्त साहिब की देखरेख में हुआ और 6 महीनों में जांच पूरी करके दोषियों को सज़ाएं दी गईं। धामी ने कहा कि जब अन्य मुद्दे फेल हो गए तो इस मामले को उछाला जा रहा है, जबकि बंदी सिहों या जून 1984 के मामलों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। यह सब सिर्फ़ राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।