अमृतसरः सिख संस्थाएं और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से लंबे समय से बंदी सिंहों की रिहाई के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। लेकिन बंदी सिंहों की रिहाई नहीं हो पा रही है। मामले की जानकारी देते हुए एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि बंदी सिंहों में भाई गुरदीप सिंह खैड़ा और भाई दविंदर सिंह भुल्लर अभी भी जेल में हैं। हालांकि कुछ बंदी सिंहों पैरोल पर और कुछ जमानत पर बाहर आ चुके हैं। दूसरी ओर, भाई बलवंत सिंह राजोवाना का मामला अलग है। इस मुद्दे पर भी एसजीपीसी लगातार काम कर रही है। इसे लेकर आज सिख सम्प्रदायों के साथ एसजीपीसी के प्रमुख ने एसजीपीसी मुख्यालय में बैठक की।
बैठक के बाद उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने भाई बलवंत सिंह राजोवाना से भी मुलाकात की थी। भाई बलवंत सिंह राजोवाना ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी पक्ष से माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने जो कुछ किया वह अपने होश-ओ-आवाज़ में किया था और उन्हें इस बात की कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल एसजीपीसी का नहीं बल्कि पूरे सिख समुदाय का है। ऐसे में वह सभी से अपील करते हैं कि उनका पूरा साथ दिया जाए और पूरे समुदाय की राय आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि बलवंत सिंह राजोवाना की याचिका पर कोई निर्णय दिया जाना चाहिए। सभी जत्थेबंदियां भी इस मुद्दे पर ध्यान दें क्योंकि कई सालों से बलवंत सिंह राजोवाना फांसी की सजा भुगत रहे हैं। जल्द ही इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें सिख संस्थाएं, निहंग सिख जत्थे, बुद्धिजीवी, महापुरुष और सम्प्रदाय शामिल होंगे। इसके बारे में एक घोषणा भी जारी की जाएगी और पूरी दुनिया के सिखों को एकत्रित होने की अपील की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अब सरकार से कोई आस नहीं है। कुछ महीने पहले जो 5 सदस्यीय समिति बनाई गई थी, जिसमें बलजीत सिंह हमदर्द के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिलने का समय लिया गया था, लेकिन किसी साजिश या अन्य कारणों से वह मुलाकात नहीं हो पाई। अब समय आ गया है कि सभी एक साथ आएं, एक साथ निर्णय करें और उसके अनुसार सबको चलना चाहिए।