लुधियानाः पंजाब के कॉमेडी किंग डॉ. जसविंदर भल्ला का शुक्रवार को 65 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी की ओर जसविंदर भल्ला के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। इस दौरान यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने कहा कि 1990 में उन्हें एमएससी का कोर्स करवाया था। उन्होंने कहा कि 1989 में जसविंदर भल्ला पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) में प्रोफेसर रहे और 2020 में विभाग के प्रमुख के रूप में सेवा मुक्त हुए। जसविंदर भल्ला ने BSc कृषि (ऑनर्स) और MSc (एक्सटेंशन एजुकेशन) की डिग्री 1982 और 1985 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाणा से प्राप्त की।
पीयू में प्रवेश करने से पहले उन्होंने कृषि विभाग, पंजाब में पांच साल तक ए.आई./ए.डी.ओ के रूप में सेवा निभाई। वह साल 1989 में पीएयू के विभाग ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन में सहायक प्रोफेसर के रूप में शामिल हुए और अपनी पीएच.डी. (एग्रीकुल्चर एक्सटेंशन) साल 2000 के दौरान सीसीएसयू, मेरठ से एक सेवा-टूर पर विद्यार्थी के रूप में पूरी की। वह PAU के ब्रांड एंबेसडर भी बने और अपने कार्यकाल में उन्होंने विश्वविद्यालय की तकनीकों और साहित्य को किसानों तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया।
उनका पूरा फोकस कृषक समुदाय की सेवा और जागरूकता बढ़ाने पर रहा। जसविंदर भल्ला को चाहे सभी ने एक कॉमेडियन के तौर पर देखा है, लेकिन वे प्रोफेसर भी थे। उनके एक स्टूडेंट निर्मल जोड़ा ने अपने आर्टिकल में लिखा कि कॉलेज का पहला दिन और डॉ. भल्ला का पहला लेक्चर था। सभी एक हास्य कलाकार से पढ़ने के लिए उतावले थे। सभी सोचते थे कि जिस तरह वह पर्दे पर हैं, वैसे ही कक्षा का माहौल होगा। लेकिन नहीं, पूरा सेमेस्टर उसी तरह पढ़ाई हुई, जैसे अन्य विषयों की होती है। पहले दिन से ही उन्होंने लेक्चर में हास्य कलाकार की झलक नहीं आने दी।
निर्मल जोड़ा बताते हैं कि वे कभी खेतीबाड़ी विभाग में इंस्पेक्टर थे। जिसके चलते वह पंजाब को बेहतर तरीके से जानते थे। वे अपने कंटेंट को बेहतर तरीके से तैयार कर समझाते थे। वे स्टूडेंट्स को समझाते थे कि लोगों के साथ कैसे बात करनी है और कैसे उनमें घुलना मिलना है। वे इसकी रिहर्सल भी करवाते थे, ताकि किसी गांव में जाने पर स्टूडेंट्स की बात किसी को चुभ ना जाए। उन्होंने बताया कि प्रैक्टिकल गांव में होते थे। एक बार प्रैक्टिकल से एक दिन पहले डॉ. भल्ला ने कहा था कि कल प्रैक्टिकल के लिए हम सिधवां, मंडियाणी, भरोवाल और विरकी जाएंगे। साधारण कपड़े पहन कर आना। अगर किसी ने फैशन किया तो गांव वाले आगे से बात नहीं करेंगे, नुक्ताचीनी भी करेंगे।