अमृतसर: गुरु नगरी से मुंबई गई गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस में 3 क्विंटल गोमांस चंडीगढ़ व कोलकाता के हावड़ा में मछली सप्लाई करने वाले एक स्थानीय एजेंट ने ‘चिकन’ बताकर बुक करवाया था। मामला सामने आने के बाद अब विभागीय टीम एजेंट की तलाश कर रही है ताकि इस पूरे गिरोह को पकड़ा जा सके और पता लगाया जा सके कि गोमांस कब से यहां से सप्लाई किया जा रहा था या फिर यह पहली बार भेजा गया था। आरोपी इस समय फरार है। वहीं गौ मांस की तस्करी को लेकर श्री दुर्गियाणा समिति की अध्यक्ष लक्ष्मी कांता चावला ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अमृतसर जैसे पवित्र शहर से कोलकाता और बंगाल को गौ मांस तस्करी होना दुर्भाग्यपूर्ण बात है और यह कब से चल रहा है, इस बारे में जांच की आवश्यकता है।
आखिर यह कब से हो रहा है और जिस व्यापारी द्वारा इसे मुर्गे का मांस कहकर भेजा जा रहा है, उसे भी पूछताछ के दायरे में लाने की जरूरत है ताकि रोजाना अमृतसर से गौ तस्करी और गौ हत्या जैसे बड़े पैमाने पर हो रहे अपराधों पर नियंत्रण पाया जा सके। यहां यह भी चिंता का विषय है कि रेलवे विभाग और जीआरपी की नजरों से बचकर यह गौ मांस महाराष्ट्र तक पहुंचा। महाराष्ट्र में पहुंचने के बाद तस्करी के बारे में पता चला। यदि इसकी पोल खुलती तो बड़े पैमाने पर यह गौ मांस तस्करी जारी थी, जबकि रेलवे के प्रशासनिक अधिकारी कुंभकरणी नींद में थे। इसलिए हम रेलवे और पुलिस विभाग से अपील करते हैं कि वे गौ धन की सुरक्षा करें और गौ हथियारियों पर कड़ी कार्रवाई करें।
बता दें कि अमृतसर के झब्बाल रोड स्थित फताहपुर निवासी विजय सिंह एजेंट ने यह माल 30 अप्रैल को अमृतसर से रवाना हुई गोल्डन टेंपल रेलगाड़ी में मुंबई भिजवाया था। यह खेप गुजरात के वड़ोदरा रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने पकड़ने के बाद आरोपी विजय सिंह व मुंबई निवासी जफर शब्बीर पर मामला दर्ज किया है। दरअसल, उनके नाम पर माल भेजा गया था। अमृतसर जीआरपी आगे की जांच के लिए वड़ोदरा जीआरपी से संपर्क में है। बताया जा रहा है कि सप्लायर विजय सिंह मांस पैकिंग में माहिर है। वह थर्मोकाल में आइस से कवर करके मछली भेजता है।
उसने यही तरीका गोमांस भेजने के लिए भी इस्तेमाल किया ताकि गोमांस लंबे रास्ते में खराब न हो और सही-सलामत अपने गंतव्य तक पहुंच जाए। अमृतसर रेलवे स्टेशन से रोजाना देश के विभिन्न हिस्सों में 500 से भी अधिक पार्सल के नग विभिन्न ट्रेनों के माध्यम से रवाना होते हैं। पार्सल भेजने वाला बुकिंग फार्म पर पार्सल में भेजे जाने वाले सामान का विवरण देता है। ट्रेन चलने के आधा घंटा पहले पार्सल स्टेशन पर पहुंचता है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अमृतसर रेलवे स्टेशन पर एयरपोर्ट जैसा स्कैनर लगाने का टेंडर दो महीने पहले पास करके आगरा की एक कंपनी को अलाट हो चुका है। 15 मई तक स्कैनर लगाया जा सकता है। स्कैनर लगने से पता चल सकेगा कि पार्सल में भेजा जाने वाला सामान क्या है।