तरनतारनः श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय कार्यालय में 5 सिंह साहिबानों की अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता कार्यकारी जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने की। करीब एक वर्ष पहले शिअद नेता विरसा सिंह वल्टोहा के खिलाफ श्री अकाल तख्त साहिब से सुनाए गए फैसले को पलटते हुए सोमवार को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज के नेतृत्व में 5 सिंह साहिबान ने विरसा सिंह वल्टोहा पर लगाई गई पाबंदी को हटाने का आदेश दिया है।
लगातार 2 बार विधायक रह चुके विरसा सिंह वल्टोहा शिअद के प्रवक्ता के तौर पर जाने जाते रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की गुडबुक में शामिल विरसा सिंह वल्टोहा को श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मिलने के बाद पार्टी को जहां बड़ा बल मिला है, वहीं विरसा सिंह वल्टोहा को सियासी राहत मिली है। विरसा सिंह वल्टोहा ने अकाली दल नेतृत्व के विरुद्ध की गई आपत्तिजनक शब्दावली पर माफी मांगी, जिसके बाद उन पर लगी लगभग 10 वर्ष पुरानी रोक हटाकर उन्हें श्री हरिमंदिर साहिब, तरनतारन, दमदमा साहिब और केसगढ़ साहिब में सेवा की जिम्मेदारी सौंपी गई। उपकुलपति कर्मजीत सिंह को दक्षिण भारत में दिए विवादित बयान के लिए दो दिन हरिमंदिर साहिब सेवा और नितनेम की सजा सुनाई गई।
पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को लंगर सेवा, पाठ और 1100 रुपए की देग चढ़ाने का हुक्म दिया गया। प्रचारक हरिंदर सिंह को सेवा, पाठ और देग अर्पण के साथ उन पर लगी प्रचार संबंधी पाबंदी से मुक्त कर दिया गया। भाषा विभाग के निदेशक जसवंत सिंह को दुख निवारण साहिब में सेवा और गुरु तेग बहादुर साहिब की जीवनी की 100 प्रतियां वितरित करने का आदेश दिया गया। 5 सिंह साहिबान ने स्पष्ट संदेश दिया कि धार्मिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को वाणी, आचरण और मर्यादा को लेकर विशेष सजग रहना होगा। इसी प्रकार जसवंत सिंह (भाषा विभाग पंजाब) के बारे में कहा गया कि श्रीनगर में गुरु तेग बहादुर जी के शहादत कार्यक्रम के दौरान नाच-गाना कराना भारी बेअदबी माना गया। उन्होंने माफी मांगी।
उन्हें धार्मिक दंड दिया गया, जिसमें 2 दिन गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पटियाला में लंगर सेवा, 4 दिन जपुजी साहिब, सुखमनी साहिब तथा जफरनामा का पाठ, पुस्तक “इत जिन करी जीवन – गुरु तेग बहादुर जी” की 100 प्रतियां बांटना, और अंत में कड़ाह प्रसाद तथा गोलक भेंट शामिल हैं। इसके बाद 5 सिंह साहिबान का संदेश एकत्रता के दौरान स्पष्ट रूप से कहा गया कि सिख समुदाय की पहचान अलग और अटूट है, किसी भी तरह के मिलावट भरे प्रयास बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। गुरु साहिब की मर्यादा, आदब और पंथक एकता का पालन हर सिख के लिए अनिवार्य है।