फिरोजपुरः जिले में फट्टू वाला गांव में बनी एयर फोर्स की हवाई पट्टी को एक महिला व उसके बेटे पर बेचने के आरोप लगे है। यह हवाई पट्टी करीब 15 एकड़ में बनी हुई है। बताया जा रहा है कि आरोपी ने जमीन के असली मालिक की मौत के बाद राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करके अपना नाम लिखवाया। एयरफोर्स पाकिस्तान के खिलाफ 1962 1965 और 1971 के युद्ध में इसका इस्तेमाल कर चुकी है। कथित तौर पर 1997 में ऊषा बंसल और उसके बेटे नवीन चंद असल निवासी गांव डुमरी वाला द्वारा बेची गई थी। इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख निदेशक को समय इस मामले की सच्चाई की जांच करने का आदेश दिया था।
28 साल बाद पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बाद फिरोजपुर पुलिस ने महिला व बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जब जांच में देरी होने लगी तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर 21 दिसंबर 2023 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डीसी को छह हफ्तों में जांच पूरी करने के निर्देश दिए। डीसी की 3 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि जमीन अभी भी 1958-59 के रिकॉर्ड के अनुसार रक्षा मंत्रालय के कब्जे में है।
इसके बाद मई 2025 में जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच के बाद एयरस्ट्रिप को आधिकारिक तौर पर रक्षा मंत्रालय को बहाल कर दिया गया। एकत्र की गई जानकारी के अनुसार, यह एयरस्ट्रिप 1939 में ब्रिटिश सरकार द्वारा रॉयल एयर फोर्स के उपयोग के लिए अधिगृहीत की गई 982 एकड़ भूमि का हिस्सा थी, जिसका इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया था। इस घोटाले का पर्दाफाश निशान सिंह नामक एक सेवानिवृत्ति कानूनगों ने किया है। जिन्होंने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक को इस संबंध में शिकायत दी थी कि उनकी शिकायत के आधार पर डीएसपी करण शर्मा की अगुवाई में जांच की गई। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि इस टेस्ट स्ट्रिप को जालसाजी से सरकारी रिकॉर्ड में आम भूमि दर्शाकर मिली भगत से निजी व्यक्तियों को बेचने की कोशिश की गई।
रिटायर्ड कानूनगो निशान सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते फिरोजपुर में वायुसेना की जमीन है, जिसका कब्जा अब आर्मी के पास है। इस जमीन पर हवाई पट्टी भी बनी है। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से यह महत्वपूर्ण हवाई-पट्टी है। एयर स्ट्रिप वाली इस 15 एकड़ जमीन का मालिकाना हक 2001 में कुछ लोगों ने अधिकारियों के साथ मिलकर अपने नाम करवा लिया है। निशान सिंह ने याचिका में मामले की सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी। इस गंभीर मामले में फिरोजपुर कैंट के प्रशासनिक कमांडेंट ने संबंधित आयुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी।
वायुसेना के अधिकारी राज्यपाल से मिले इस मामले में वायु सेना अधिकारी फिरोजपुर में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मिले लेकिन वहां सुनवाई नहीं की गई। जिसके बाद वायुसेना ने 24 फरवरी 2024 को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखकर पूरा मामला बताया। राज्यपाल को बताया गया कि 1997 में 5 जाली सेल- डीड नं 889, 965, 1002, 1104 और 1177 में गैरकानूनी ढंग से फर्जीवाड़ा किया गया। जालसाजी करते हुए हवाई पट्टी वाली जमीन का नामांतरण आरोपियों ने अपने नाम पर करवा लिया।
दरअसल, यह जमीन 1937-38 से ही भारतीय वायुसेना के कब्जे में रही और 118.6 कनाल (एक कनाल यानी 5445 वर्गफीट) वाली हवाई-पट्टी वायुसेना की पूरी भूमि का ही एक हिस्सा है। इस जमीन पर एयरपोर्ट का निर्माण किया जाना है और देश की सुरक्षा के लिहाज से भारत-पाक सीमा के साथ लगती इस जमीन को किसी भी कीमत पर बेचा ही नहीं जा सकता।