चंडीगढ़ः जेल में बंद गैंगस्टर लॉरैंस बिश्नोई की इंटरव्यू मामले में बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह संधू के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जहां दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब के गृह सचिव व (एडीजीपी) अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रोविजनिंग)-सह-विशेष जांच दल के सदस्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि एफआईआर में उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई को गैरकानूनी करार देते हुए तत्काल प्रभाव से रोका जाए।
याचिका में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रोविजनिंग)-सह-विशेष जांच दल के सदस्य, द्वारा जारी किए गए दो नोटिस जो 21 मई 2025 और दिनांक 23 मई 2025 को जारी किए गए को चुनौती दी गई है। इन नोटिसों के जरिए याचिकाकर्ता को उपस्थित होने के लिए कहा गया था, जो अब याचिकाकर्ता के अनुसार भारतीय विधि के तहत अमान्य हैं। गुरशेर सिंह संधू का तर्क है कि यह समस्त कार्यवाही न केवल लंबित सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही के दौरान की गई है, बल्कि यह भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली की आत्मा के भी विरुद्ध है।
उन्होंने अदालत से निवेदन किया है कि इन नोटिसों को अविलंब रद्द किया जाए और राज्य सरकार तथा पुलिस को उनके विरुद्ध कोई भी जबरदस्ती या दंडात्मक कार्रवाई करने से रोका जाए। याचिका में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रोविजनिंग)-सह-विशेष जांच दल के सदस्य, द्वारा जारी किए गए दो नोटिस जो 21 मई 2025 और दिनांक 23 मई 2025 को जारी किए गए को चुनौती दी गई है। याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि अदालत अंतरिम राहत के रूप में एफआईआर तहत उनके खिलाफ की जा रही समस्त कार्यवाही पर स्थगन लगाए तथा उपरोक्त नोटिसों के प्रभाव और संचालन पर रोक लगाए।
साथ ही याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई भी दमनात्मक या दंडात्मक कार्रवाई न की जाए, जब तक कि न्यायालय इस याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं दे देता। याचिकाकर्ता ने याचिका में आग्रह किया है कि 5 जनवरी 2024 पंजाब स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन, फेज 4 एसएएस नगर में एफआईआर दर्ज होने से पहले और उसके बाद की पूरी रिकार्ड फाइल (जिसमें केस डायरी, पत्रचार, सामग्री, नामांकन संबंधित दस्तावेज आदि शामिल हैं) तलब की जाए, ताकि स्पष्ट हो सके कि उन्हें इस एफआईआर में कैसे और क्यों नामजद किया गया।
लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू के सिलसिले में 7 पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया था। इस घटना के बाद संधू को अक्टूबर 2024 में निलंबित कर दिया गया था। पंजाब सरकार ने अब उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई पंजाब लोक सेवा आयोग की सहमति के बाद की गई। आदेश में कहा गया है कि संधू ने कदाचार, लापरवाही और कर्तव्य में ढिलाई बरती। उन्होंने हिरासत में बंद अपराधी का इंटरव्यू लेकर पंजाब पुलिस की छवि धूमिल की। उनकी कर्तव्यनिष्ठा में कमी पंजाब पुलिस के अनुशासन और आचार नियमों का घोर उल्लंघन है।