फिरोजपुरः भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित भारत के अंतिम गांव कालू वाला में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची। स्वास्थ्य विभाग की टीम बीएसएफ के साथ मिलकर मोटर बोट के जरिए सतलुज नदी पार करके इलाके में पहुंची। दरअसल, यह गांव सतलुज नदी और एक तरफ से पाकिस्तान से घिरा हुआ है। इलाके में बाढ़ का पानी आने पर कालू वाला गांव कट जाता है और भारत से पूरी तरह अलग हो जाता है। इस कारण मोटर बोट के माध्यम से ही यहां पहुंचा जा सकता है। जहां स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा मेडिकल कैंप लगाकर बीमार लोगों का उपचार किया गया। बीएसएफ के सहयोग से स्वास्थ्य प्रशासन ने कैंप में कई मरीजों का इलाज किया और दवाइयां वितरित कीं।
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि बाढ़ में हर एक अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी। सरकार ने बाढ़ की मार झेल रहे गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए पहले ही अलर्ट जारी कर रखा है। पंजाब के 6 जिलों के स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिनमें फिरोजपुर भी शामिल है। स्वास्थ्य विभाग बाढ़ प्रभावित हर व्यक्ति तक पहुंचने के प्रयास कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने बीएसएफ के साथ मिलकर भारत के अंतिम गांव कालू वाला में एक मेडिकल कैंप का आयोजन किया है, जहां बीमारों को दवाइयां वितरित की गईं और उनका प्राथमिक इलाज भी किया गया।
उल्लेखनीय है कि कालू वाला गांव तीन तरफ से सतलुज नदी से घिरा हुआ है और एक तरफ से पाकिस्तान की सीमा लगती है। यदि सतलुज नदी में बाढ़ आ जाती है तो कालू वाला के लोगों के पास एकमात्र रास्ता पाकिस्तान ही बचता है। यदि सतलुज में बाढ़ आती है तो इस गांव के लोग या तो जान जोखिम में डालकर नदी पार करके भारत के इस पार आ सकते हैं या फिर पाकिस्तान ही एकमात्र विकल्प होता है, लेकिन वे उस पार नहीं जा सकते।
स्वास्थ्य विभाग ने नदी में आई बाढ़ की कठिनाइयों को पार करते हुए बीएसएफ के सहयोग से मोटर बोट के जरिए भारत के इस अंतिम गांव में पहुंचकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कीं, जहां लोगों को दवाइयां वितरित की गईं और प्राथमिक उपचार भी दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समय-समय पर इस गांव में मेडिकल जांच कैंप लगाए जा रहे हैं ताकि यहां के लोग बाढ़ के कारण उसे पार नहीं आ पाते, ऐसे में आज उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। लगातार स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं ताकि बाढ़ की स्थिति में भी लोगों को उनकी दहलीज तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें। इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है और दवाइयों का स्टॉक भी पूरा रखा गया है ताकि किसी भी प्रकार की कमी न हो।