श्री मुक्तसर साहिबः लंबी के गांव सिंघेवाला में आप कार्यकर्ता की अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके के मामले की जांच जिला प्रशासन की ओर से क्षेत्र के थाना के स्तर पर ही चल रही है। इस मामले में धमाके के 5 दिन बीतने के बाद भी सिविल प्रशासन की किसी तरह की इन्वेस्टिंगेशन टीम का गठन नहीं हुआ है। हादसा सीधे तौर पर जिला प्रशासन की लापरवाही से ही हुआ है। अब विशेष टीम का गठन नहीं किए जाने से ऐसा लग रहा है कि प्रशासन अपने अधिकारियों का बचाव कर रहा है।
यह बात किसी को हजम नहीं हो रही कि आखिर कैसे लाइसेंस मिलने से पहले ही फैक्ट्री चालू हो गई। पहले तो जिला स्तर के पद पर बैठे बड़े अधिकारी इस मामले में जानकारी नहीं होने का कह कर पल्ला झाड़ रहे थे और अब जबकि धमाका होने से 5 लोगों की जान चली गई है और 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। तब भी इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच की आवश्यकता नहीं समझी जा रही है। जिला वासियों की जुबां पर एक ही सवाल है कि यह नहीं हो सकता है कि इतने बड़े स्तर पर अवैध पटाखा फैक्ट्री में काम चल रहा हो और अधिकारियों को पता ही न हो।
वैसे तो इस मामले में अगर मजिस्ट्रेट जांच होती है तो क्षेत्र के कई अधिकारियों की कारगुजारी संदेह के घेरे में आएगी। एक हैरानी की बात तो यह भी है कि डिप्टी कमिश्नर अभिजीत कपलिश अभी तक क्षेत्र के किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं कर पाए हैं। क्षेत्र के तहसीलदार, एसडीएम या थाना किल्लियांवाली की पुलिस कहने को तो सिंघेवाला क्षेत्र इनके अधिकार क्षेत्र में था। लेकिन धमाके के बाद सभी अधिकारी यही कह रहे हैं कि यह फैक्ट्री कब खुली कैसे खुली उनके ध्यान में नहीं है।
5 दिन में धमाके की पूरी जांच क्षेत्र के संबंधित थाना किल्लियांवाली के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। थाने में चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर तीन को गिरफ्तार किया है,जिनमें फैक्ट्री मालिक तरसेम सिंह, इसका बेटा नवराज सिंह और ठेकेदार राज कुमार शामिल है। तीनों आरोपी 4 दिन के पुलिस रिमांड पर हैं। जबकि मुख्य आरोपी की पत्नी सुखचैन कौर अभी फरार है। एसडीएम जसपाल सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि पटाखा फैक्ट्री में धमाका मामले में अभी सिविल प्रशासन की किसी तरह की इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन नहीं हुआ है।