अमृतसरः किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के जनरल सैक्रेटरी सरवन सिंह पंधेर ने अमृतसर में प्रेस कॉन्फ्रैंस की। इससे पहले किसानों की चंडीगढ़ में केंद्र के मंत्रियों के साथ मीटिंग हो चुकी है। पंधेर ने कहा कि किसानों का पहला जत्था 20 मार्च को दिल्ली के लिए रवाना होना था, लेकिन अब यह जत्था 25 मार्च को दिल्ली के लिए रवाना होगा। वहीं किसान नेता सिंह पंधेर ने राज्य सरकार को चेतावनी दे दी है कि वह किसानों की जमीनों पर जबरदस्ती कब्जे ना करें और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
उन्होंने कहा कि अभी हमारा ध्यान केंद्र की तरफ है। अगर किसी भी जिले में जबरदस्ती जमीन एक्वायर की तो वह इस मामले में कड़ा एक्शन लेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को किसानों ने 12 मांगों का एक पत्र भेजा है। हमारी मांग है कि उस पर मता पास करके केंद्र सरकार को भेजा जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो पंजाब विधानसभा का सेशन बुलाया गया है उसमें किसान और मजदूरों की मांगों पर भी ध्यान दिया जाए। जो नौजवान विदेश से डिपोर्ट होकर आए है इसके पीछे जो भी एजेंट जिम्मेदारी है उनके खिलाफ बनती कार्रवाई की जाए। सरकार किसानों की जमीनों को धक्के के साथ एक्वायर कर रही है। जिसका किसानों की ओर से जबरदस्त विरोध किया जाएगा।
रविवार को दोनों फोरम के नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों के साथ बातचीत की और आगे की रणनीति पर चर्चा की है। शनिवार को आंदोलनकारी किसानों और केंद्र के बीच चंडीगढ़ में हुई छठीं मीटिंग में भी कोई हल नहीं निकल सका। ढाई घंटे चली मीटिंग में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने केंद्र के सामने आंकड़े रखे। अब अगली मीटिंग 19 मार्च को चंडीगढ़ में ही होगी।
मीटिंग के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- ‘बैठक अच्छे माहौल में हुई। हमने मोदी सरकार की प्राथमिकताएं किसानों के सामने रखीं। किसानों की भी बातें सुनीं। किसानों के पास अपने आंकड़े हैं और केंद्र सरकार के पास अपना डेटा है। दोनों आंकड़ों को मिलाया जाएगा।’ उधर, किसानों का 25 फरवरी को दिल्ली कूच का प्रोग्राम है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा था कि अगर मीटिंग में हल नहीं निकला तो दिल्ली कूच होगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों ने अपनी मांगों के समर्थन में कुछ आंकड़े सामने रखे। इन आंकड़ों के आधार पर उन्होंने अपनी मांगों को उचित ठहराया। आंकड़ों में विभिन्न फसलों की खरीद मात्रा, खरीद मूल्य और बाजार मूल्य का डेटा शामिल था। इन आंकड़ों पर विभिन्न मत सामने आए। किसान संगठनों द्वारा दिए गए आंकड़े केंद्र सरकार के आंकड़ों से मेल नहीं खा रहे थे, इसलिए मंत्रियों ने इनके स्रोत के बारे में पूछताछ की। फिर यह तय हुआ कि अगले कुछ दिनों में केंद्रीय एजेंसियां किसानों से यह डेटा लेंगी। डाटा का मूल्यांकन किया जाएगा। 19 मार्च को इस पर दोबारा चर्चा होगी।