अमृतसरः जिले में अटारी-बाघा सीमा पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने वैध मांगों को लेकर मुद्दा उठाया। आज पंधेर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि जिस तरह से किसानों और मजदूरों की वैध मांगें पूरी करवाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा सड़कों को बंद किए गया। वहीं शंभू-खनौरी और रतनपुरा बॉर्डर पर केंद्र सरकार के खिलाफ लगे मोर्चों को धोखे से नेताओं को गिरफ्तार कर बंद कर दिया गया है, उसे देखते हुए इस समय पंजाब सरकार की ओर से विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2 मई को मुख्यमंत्री भगवंत मान अमृतसर में खालसा कॉलेज में आ रहे हैं, जहां किसान संगठनों द्वारा वे अपनी मांगें उनके सामने रखेंगे।
उन्होंने बताया कि दोनों फोरमों ने फैसला किया है कि 2 मई को संयुक्त कार्यक्रम के तहत पंजाब के सभी जिलाधिकारी कार्यालयों में मांग पत्र दिया जाएगा, जिनमें मुख्य मांगों के रूप में पिछले दिनों गेहूं की फसल, गढ़ेमारी और आग लगने की घटनाओं के कारण हुए नुकसान को देखते हुए प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजा दिया जाने की मांग रखी जाएंगी। बॉर्डरों से किसान आंदोलन को दबाने के लिए किए गए हमलों में किसान नेता बलवंत सिंह बहिरामके पर पुलिस द्वारा जबरदस्ती की गई लाठीचार्ज तथा अन्य किसानों और मजदूरों पर की गई हिंसा करने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की मांग भी रखी जाएंगी। इस दौरान बॉर्डरों से चोरी किए गए सभी सामान की भरपाई प्रशासन द्वारा की जाए।
गेहूं की खरीद के चालू सत्र के दौरान मंडियों में किसानों से फॉर्म अनुसार खर्चा लिया जाए। इन सभी मांगों को लेकर 2 मई को पंजाब के सभी जिलाधिकारी कार्यालयों में मांग पत्र सौंपे जाएंगे। उन्होंने कहा कि 6 मई को दोनों फोरमों द्वारा थाना शंभू का घेराव किया जाएगा। 4 मई को केंद्र के मंत्रियों के साथ किसान आंदोलन की मांगों को लेकर बैठक के लिए केंद्र सरकार की ओर से निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है, जिसका जवाब देते हुए दोनों फोरमों ने केंद्र सरकार को लिखित सूचना दे दी है कि दोनों फोरमों ने फैसला किया है कि यदि केंद्र सरकार किसान आंदोलन 2 की मांगों पर बैठक करना चाहती है तो इस बैठक में पंजाब सरकार का कोई मंत्री या किसी भी प्रकार का प्रतिनिधि नहीं बैठना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम बैठक से कभी पीछे नहीं हटते, क्योंकि बैठकों के जरिए ही समस्याओं का समाधान निकलता है, लेकिन जिस तरह का धोखा सरकार ने बैठक के लिए आए किसान नेताओं को गिरफ्तार करके देश के किसानों और मजदूरों के साथ किया है, उसके बाद इस मुद्दे पर फिर सरकार के ही मंत्रियों के साथ बैठना लोक भावनाओं के विरुद्ध है, इसलिए संगठनों ने यह फैसला किया है कि यदि इस पत्र के बावजूद सरकार के प्रतिनिधि इस बैठक में बैठते हैं तो संगठनों द्वारा इस बैठक का बहिष्कार किया जाएगा।