अमृतसरः शहर से हाईकोर्ट के आदेशानुसार निकाली गई डेयरी कॉलोनियों को 65 किलोमीटर दूर स्थानांतरित किया गया, लेकिन यहां डेयरी पालकों की हालत दयनीय है। सड़कें, पानी, बिजली या पशु चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण ये लोग कष्ट में जीवन यापन कर रहे हैं। कुमार और शमशेर सिंह सहित कई डेयरी पालकों ने बताया कि उन्होंने अपनी पुरानी संपत्तियां बेचकर यहां आश्रय लिया, लेकिन यह जगह उनके लिए नर्क बन गई है। उनके अनुसार यहां न तो पक्की सड़कें हैं, न ही चिकित्सकीय सुविधाएं, और न ही पशुओं के लिए अस्पताल। गंदी गलियां, खुले नाले, और रात के अंधेरे में कोई सुरक्षा नहीं — इन सभी मुश्किलों ने जीना मुश्किल कर दिया है।
डेयरी पालक कहते हैं कि हम पहले से ही डेयरी का काम कर रहे हैं, यह हमारा रोजगार है। अब जब शहर से बाहर निकाला गया है तो हमें इन कच्चे प्लॉट्स पर लाकर छोड़ दिया गया है, जहां न कोई रास्ता बना है, न कोई अन्य सुविधा मिल रही है। उनकी मांग है कि जैसे जालंधर और लुधियाना में डेयरी कॉलोनियां बनाई गई हैं, वैसे ही उन्हें भी अच्छी तरह से तैयार किए गए प्लॉट दिए जाएं। यह भी सुझाव दिया गया है कि वे प्लॉट किस्तों में लेकर भुगतान करने के लिए तैयार हैं।
सरकार या निगम जो भी मूल्य तय करे, उसे भरने को वे राजी हैं, लेकिन कम से कम जीने के लायक सुविधाएं तो मिलनी चाहिएं। डेयरी पालकों ने यह भी चिंता जताई कि यदि कोई पशु बीमार हो जाए या अचानक मर जाए, तो यहां न तो डॉक्टर आते हैं और न ही कोई मृत पशु उठाने वाला। उनके अनुसार पूरी डेयरी उद्योग को कष्ट में छोड़ दिया गया है। उन्होंने हाईकोर्ट और सरकार से अपील की है कि या तो उन्हें अच्छी तरह से तैयार सुविधाओं सहित प्लॉट दिए जाएं, या फिर जिन्हें आगे स्थानांतरित करना है, उनके लिए पहले पूरी तैयारी की जाए।