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Punjab News: जगतार तारा को लेकर कोर्ट का आया फैसला, देखें वीडियो

पटियालाः राष्ट्रीय सिख संगत के प्रधान रुलदा सिंह कत्ल केस में कोर्ट में जगतार सिंह तारा और रमनदीप सिंह गोल्डी को सुनवाई हुई। जहांपटियाला की अदालत ने जगतार सिंह तारा और रमनदीप सिंह गोल्डी को बरी कर दिया। जबकि इस केस में पांच आरोपियों को पहले ही बरी किया जा चुका है। अदालत की ओर से फैसला सुनाए जाने के बाद जगतार सिंह तारा को वापस चंडीगढ़ जेल भेज दिया गया है। गौरतलब है कि जगतार सिंह तारा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के कत्ल केस में भी सजा काट रहा है। जगतार सिंह तारा व रमनदीप सिंह गोल्डी के वकील बरजिंदर सिंह सोढ़ी ने कहा कि पुलिस दोनों की रूलदा सिंह कत्ल केस में संलिप्तता को साबित करने में नाकाम रही है।

पुलिस दोनों के खिलाफ अदालत में कोई सबूत पेश नहीं कर सकी। रूलदा कत्ल केस करीब 16 साल पुराना है। 28 जुलाई 2009 की रात करीब 10 बजे रुलदा सिंह किसी से मिलकर कार में लौटे थे और सरहिंद रोड स्थित अनाज मंडी में अपनी दुकान के ऊपर बने घर के बाहर गैराज में कार लगा रहे थे। इसी बीच कार में कुछ अज्ञात हमलावर आए और रूलदा सिंह को गोलियां मार दी थी। रूलदा सिंह के पेट व सिर में पांच गोलियां लगी थीं। गंभीर हालत में रूलदा सिंह को राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया था। जहां 15 अगस्त 2009 को रूलदा सिंह की मौत हो गई थी।

इससे पहले पुलिस ने मामले में 29 जुलाई 2009 को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पटियाला के थाना त्रिपड़ी में रूलदा सिंह के बेटे राजिंदरा सिंह के बयान पर केस दर्ज किया था। बाद में इस केस में पुलिस ने बसीपठाना के गांव मुकारोपुर निवासी दर्शन सिंह, बसीपठाना के ही जगमोहन सिंह, खेड़ी शीश गरां जिला कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के गुरजंट सिंह, अरोली (मुंबई) के दलजीत सिंह व चंडीगढ़ के अमरजीत सिंह को गिरफ्तार किया था।

लेकिन सबूतों के अभाव में 2015 में इन सभी को पटियाला की अदालत ने बरी कर दिया था। जबकि जगतार सिंह तारा और खालिस्तान टाइगर फोर्स के आतंकी रमनदीप सिंह गोल्डी पर केस चल रहा था, जिसमें मंगलवार को फैसला लेते हुए अदालत ने इन दोनों को भी बरी कर दिया है। इस मामले में अब तक करीब 46 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके थे। इस केस में तीन ब्रिटिश सिखों को भी यूके में दिसंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन सितंबर 2021 में यूके की अदालत ने इन सिखों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।

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