डेढ़ वर्षीय बच्चे के पिता थे कर्नल, आज होगा अंतिम संस्कार, दिल्ली से आए अधिकारी
पठानकोटः भारत-चीन बॉर्डर पर लद्दाख सीमा पर बीते दिन लैंडस्लाइड होने की घटना सामने आई थी। जहां गलवान के चारबाग इलाके में सेना के वाहन पर एक विशाल चट्टान गिरने से सेना के 2 जवान शहीद हो गए। इनमें पठानकोट के लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह भी शामिल हैं। इस दर्दनाक दुर्घटना में 2 अन्य सैनिक भी घायल हो गए हैं। इस घटना को लेकर लेफ्टिनेंट कर्नल के घर पर शोक की लहर छा गई।
वहीं आज दिल्ली से कुछ अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल के घर पर परिवार से दुख सांझा करने पहुंचे है। बताया जा रहा है कि लद्दाख में मौसम खराब होने के कारण अभी तक लेफ्टिनेंट कर्नल के शव को पठानकोट नहीं लाया जा सका। हालांकि दूसरी ओर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की ने बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह मनकोटिया का पार्थिव शरीर वीरवार को पठानकोट पहुंचेगा। जहां जालंधर बाईपास चक्की पुल के नजदीक बने श्मशानघाट पर पूरे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पठानकोट के वीर सपूत 33 वर्षीय लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह मनकोटिया बुधवार सुबह फायरिंग रेंज पर जाते समय लैंड स्लाइडिंग की वजह से शहीद हो गए। पठानकोट के अबरोल नगर निवासी सेना की 14 हॉर्स रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह जम्मू-कश्मीर के लद्दाख के साथ लगते भारत-चीन बॉर्डर पर तैनात थे। जैसे ही लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह मनकोटिया के बलिदान की खबर परिजनों को मिली तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
पिता रिटायर्ड कर्नल आरपीएस मनकोटिया, माता सुनीता मनकोटिया व पत्नी तारिणी गहरे सदमे में हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल भानू प्रताप सिंह बहुत ही बहादुर और होनहार सैन्य अधिकारी थे। बीते महीने जून में ही वे प्रमोट होकर लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे। आईएमए में बेस्ट कैडेट के तौर पर इन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर व गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया गया था। भानू प्रताप सिंह के बेटे के पिता थे। उनका डेढ़ साल का इकलौता बेटा व्योम है।