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Punjab News: एक और अस्थायी बांध टूटा, देखें वीडियो

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सुल्तानपुर लोधीः ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर के कारण मंड क्षेत्र के सुल्तानपुर लोधी विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। मंड बाऊपुर के पास गांव भैणी कादर के पास टूटे अस्थायी बांध ने पूरे मंड क्षेत्र में तबाही का मंजर पैदा कर दिया था, जहां 16 गांवों के लोग फसलों, घरों और पशुओं के लिए अन्य चारे के भारी नुकसान से उबर भी नहीं पाए थे, वहीं महिवाल के पास एक और अस्थायी बांध के टूटने से पानी से जो तबाही मची है, उससे लगता है कि बाढ़ की स्थिति 2023 में आई बाढ़ से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।

मंड क्षेत्र में चारों तरफ पानी से मची तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है। इस तबाही को देखकर मंड क्षेत्र के लोग गहरे सदमे में हैं। किसान 2023 में आई बाढ़ से हुए नुकसान से उबर भी नहीं पाए थे कि प्रकृति का प्रकोप एक बार फिर टूट गया। मंड क्षेत्र के लोग बाढ़ से हुए इस भारी नुकसान के लिए सीधे तौर पर प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं। मंड क्षेत्र के प्रमुख किसान नेता परमजीत सिंह बाऊपुर, कुलदीप सिंह सांगरा ने कहा कि वर्ष 2023 में भी जब प्रशासन ने मानसून सीजन के दौरान बांध बनाने से हाथ खड़े कर दिए थे।

उस समय विधायक राणा इंद्रप्रताप सिंह ने चार पोक लेन मशीनें, मिट्टी के बोरे भेजे थे और कार सेवा सरहाली वाले संप्रदाय के प्रमुख संत बाबा सुखा सिंह के नेतृत्व में संगत ने बड़ी मुश्किल से बांध का निर्माण किया था और अब भी विधायक राणा इंद्रप्रताप सिंह और सरहाली साहिब वाले संप्रदाय की संगत दिन-रात मिट्टी के बोरे भरने का काम कर रही है और लंगर भी दिन-रात चलाया जा रहा है। अगर प्रशासन और सरकार ने पहले ही प्रबंध किए होते तो ऐसी स्थिति नहीं होती।

किसान नेता परमजीत सिंह बाऊपुर, कुलदीप सिंह सांगरा ने कहा कि अगर प्रशासन ने पहले ही अच्छे प्रबंध किए होते और हरिके हेड से समय-समय पर पानी छोड़ा होता तो आज मंड क्षेत्र की स्थिति ऐसी नहीं होती। किसान नेताओं ने कहा कि जब सरकार और प्रशासन को पता है कि इस इलाके में हर साल बाढ़ जैसे हालात बनते हैं, तो वे पहले इंतजाम क्यों नहीं करते? उस समय प्रशासन का सारा ध्यान इसी बात पर केंद्रित होता है कि यह ज़मीन नदी की है और किसान इसके मालिक नहीं हैं। किसानों ने पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान यह ज़मीन दोबारा आबाद की थी और ये ज़मीनें हमारी असली मालिकाना हक हैं।

वोट मांगते समय नेताओं को ये गाँव क्यों याद आते हैं? पहाड़ी इलाकों में लगातार बादल फटने और उस पर हो रही भारी बारिश से भी बाढ़ की स्थिति और बिगड़ रही है। उन्होंने कहा कि लोग अपने घरों और फसलों से बेघर हो गए हैं। ऐसे में लोगों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने पहले ही ज़मीन साफ़ कर पानी को हरा-भरा कर दिया होता, तो इतनी भयावह स्थिति पैदा नहीं होती। लोगों को समझ नहीं आ रहा कि जाएं तो कहां जाएं।

 

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