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Punjab News: तीसरे विमान में डिपोर्ट होकर लौटे 112 यात्री, सिरों पर नहीं थी पगड़ियां, देखें वीडियो

SGPC ने पहनाई पगड़ियां, किया विरोध, भेजेंगी पत्र

अमृतसरः अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारी मात्रा में भारतीय यात्रियों को डिपोर्ट किया है। देर रात अमृतसर एयरपोर्ट पर तीसरा अमेरिकी एयरफोर्स के C-17 A ग्लोबमास्टर विमान लैंड हुआ। इस विमान में 112 यात्री डिपोर्ट होकर आए। इनमें हरियाणा के 44 और पंजाब के 33 लोग शामिल हैं। करीब 6 घंटे की पूछताछ के बाद ये लोग एयरपोर्ट से बाहर आए। हरियाणा के लोगों के लिए पुलिस के अधिकारी वॉल्वो बस लेकर पहुंचे। एयरपोर्ट पर अमृतसर की DC साक्षी साहनी भी पहुंचीं। उन्होंने कहा कि सभी लोग शारीरिक रूप से तंदुरुस्त हैं। डिपोर्ट किए गए लोगों में कुछ बच्चे भी शामिल हैं। बच्चों को डाइपर के साथ दूध उपलब्ध करवाया।

इस विमान में अधिकतर सिख परिवार के लोग शामिल थी, जिनमें से अमृतसर फा पूर्व फौजी मनदीप सिंह भी शामिल थी। हैरानी की बात यह है कि मनदीप के सिर पर पगड़ी नहीं थी। बताया जा रहा है कि विमान से उतरने वाले ज्यादातर सिखों के सिर नंगे थे। उन्हीं में से मनदीप सिंह भी एक है। दरअसल, जब भारतीय डिपोर्ट होकर लौटे तो उस दौरान कुछ ऐसी फोटो वायरल हो गई जिससे सिख जगत में काफी विरोध हुआ। इस विमान में डिपोर्ट हुए होशियारपुर के दलजीत सिंह ने हथकड़ियां-बेड़ियां लगाने की पुष्टि की।

दूसरी ओर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अमेरिका से डिपोर्ट होकर एयरपोर्ट पहुंचे युवकों के हाथों में हथकड़ियां व पैरों में बेड़ियां डालने के लिए अमेरिका व भारत सरकार की आलोचना की है। SGPC के पूर्व महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने युवाओं को बिना दस्तार (पगड़ी) के यहां लाने के लिए भी निंदा की। उन्होंने कहा कि दस्तार की बेअदबी का मुद्दा एसजीपीसी शीघ्र ही अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाएगी और इस संदर्भ में पत्र भेजा जाएगा। ग्रेवाल ने एसजीपीसी की ओर से एयरपोर्ट पर सिख युवकों के सिर पर पगड़ियां बंधवाईं।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जानना चाहा कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बावजूद उक्त मुद्दा क्यों नहीं उठाया ? क्यों देशवासियों विशेषकर पंजाबियों के पैरों में बेड़ियां डालने जैसे अमानवीय कृत्य के बारे बातचीत नहीं की। एसजीपीसी ने दस्तार की बेअदबी रोकने के लिए एयरपोर्ट की सीआईएसएफ से पगड़ियां लेकर युवकों के सिर पर बंधवाई हैं।

उन्होंने कहा कि डिपोर्ट हुए लोगों को जहां लंगर बांटा जा रहा है, वहीं जो एसजीपीसी के वाहन द्वारा घर जाना चाहता है, तो उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया जाएगा। वहीं, एंबुलेंस व अन्य बसों के अलावा युवकों की सहायता के लिए एसजीपीसी द्वारा कर्मचारियों की तैनाती भी की गई है। ग्रेवाल ने साफ किया कि एसजीपीसी जल्द ही दस्तार की बेअदबी का मुद्दा अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाएगी और जल्द ही अमेरिकी सरकार को इस संदर्भ में पत्र भेजा जाएगा।

 

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