चंडीगढ़: प्रदूषण से जूझ रहे पंजाब ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में एक नए और चमकदार युग में प्रवेश किया है, जहां प्रदेश का विकास अब फैक्ट्रियों के धुंएं पर नहीं, बल्कि साफ हवा, साफ पानी और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन पर निर्भर करेगा। पंजाब में लोगों की सेहत, मुनाफे से ऊपर, सबसे महत्वपूर्ण है। एक ऐतिहासिक कदम में, मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार फिरोजपुर के जीरा में विवादित मालबोरोस इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड (डिस्टिलरी और एथेनॉल प्लांट) को स्थायी रूप से बंद करने के लिए तैयार है। सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को स्पष्ट कर दिया है कि ‘पंजाब में प्रदूषकों के लिए कोई जगह नहीं है।’
यह जीरा डिस्टिलरी कई वर्षों से पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही थी। पंजाब सरकार ने 2 नवम्बर, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव मनीष कुमार द्वारा दाखिल हलफनामे में माना कि फैक्ट्रि लंबे समय से पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही है, जिससे हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित हो रही है। यह हलफनामा एनजीटी के 9 सितंबर, 2025 के निर्देशों के पालन में जमा किया गया था। सरकार ने स्पष्ट किया कि किसी भी उद्योग का मुनाफा नागरिकों के साफ वातावरण में जीने के मौलिक अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता।
पिछली सुनवाई में फैक्ट्री मालिक ने सिर्फ एथेनॉल प्लांट चलाने की अपील की थी, जिसे सरकार ने सख्ती से खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा कि इतने खराब रिकॉर्ड वाली फैक्ट्री को उसी स्थान पर चलाने की अनुमति देना सार्वजनिक भलाई और कानून के खिलाफ होगा। हलफनामे में कहा गया है कि यह प्रोजेक्ट ऑपरेटर को स्थायी रूप से बंद करने का एक ठोस मामला है, क्योंकि डिस्टिलरी और एथेनॉल प्लांट का अंतिम उत्पाद रासायनिक रूप से एक ही है (एथेनॉल अल्कोहल) और ऐसी औद्योगिक गतिविधियाँ नागरिकों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती हैं। पंजाब सरकार जीरा के नागरिकों के साथ खड़ी है और प्रदूषण के प्रति ज़ीरो-टोलेरेंस नीति अपनाएगी।
सरकार ने इस मामले में ‘प्रदूषक को भुगतान करना होगा’ सिद्धांत को सख्ती से लागू करने की मांग की है। इसका सीधा अर्थ है: प्रदूषण पैदा करने वाला व्यक्ति सारी लागत वहन करेगा, जिसमें पर्यावरण की बहाली और सुधार के खर्चे शामिल हैं। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जीरा के वातावरण को पूरी तरह से साफ किया जाए और लागत फैक्टरी के मालिक से वसूल की जाए। हलफनामे में निष्कर्ष निकाला गया है कि प्रोजेक्ट की उल्लंघनाओं को माफ़ नहीं किया जा सकता और उसी प्रमोटर को काम जारी रखने की अनुमति देना कानून और सार्वजनिक नीति के विरुद्ध होगा।
यह सरकारी फैसला जीरा में स्थानीय समूहों, जैसे कि जीरा साझा मोर्चा और पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) के लंबे संघर्ष में एक बड़ी जीत है। पीएसी ने कहा कि यह पहली बार है जब सरकार ने खुलकर स्वीकार किया है कि कोई उद्योग प्रदूषण फैला रहा है और इसे स्थायी तौर पर बंद कर देना चाहिए। यह दिखाता है कि अगर जनता सच्चाई के लिए खड़ी होती है, तो सरकार वास्तविकता को स्वीकार करने के लिए बाध्य होती है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने साबित कर दिया है कि पंजाब के लोगों का स्वास्थ्य और ‘रंगला पंजाब’ का सपना उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस मामले की अगली और अंतिम सुनवाई 24 नवम्बर को एनजीटी में होगी।