चंडीगढ़ः पंजाब में राजनीतिक रैलियों में सरकारी बसों के इस्तेमाल करने के आरोप में दायर जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार और अन्य प्रतिवादियों को 21 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिका दायर करते हुए माणिक गोयल ने हाई कोर्ट को बताया कि एक तरफ सरकारी बसों की कमी के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, दूसरी ओर, राजनीतिक रैलियों के दौरान परिवहन कर्मचारियों के लिए हजारों बसें तैनात की जाती हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इन सबके अलावा सरकारी अधिकारियों को नोडल अधिकारी और अन्य जिम्मेदारियां दी गई हैं, जबकि रैली कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है। याचिका में कहा गया है कि रैलियों में भाग लेने के लिए टीचरों को बसों का प्रभारी भी बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के साथ पंजाब में हाल की रैलियों के वीडियो संलग्न करते हुए कहा कि सार्वजनिक धन का इस्तेमाल राजनीतिक रैलियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आए, राज्य में सत्ताधारी पार्टी की रैलियों में बढ़ोतरी हुई है और उनमें सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।इसी के साथ यह भी कहा गया कि रैलियों में आने वाले लोगों को रोटी, अचार, लस्सी और पानी की बोतलें दी जाती हैं, जो जनता के पैसे का दुरुपयोग है। हाई कोर्ट से राजनीतिक कार्यक्रमों में सरकारी उपकरणों के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह करते हुए पंजाब सरकार को याचिका में लगाए गए आरोपों को लेकर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।